नई दिल्ली: नई दिल्ली: उत्तर कोरिया एक बार फिर से चर्चा में है. वहां का तानाशाह किम जोंग रूस के राष्ट्रपति पुतिन से मिलने के लिए अपनी स्पेशल ट्रेन से रवाना हो चुका है.
किंम जोग की रूस यात्रा की चर्चा के बीच आज हम आपको उत्तर कोरिया के उस विशालकाय होटल के बारे में बताएंगे, जिसे अब भूतिया होटल कहा जाता है.
हैरानी की बात ये है कि 3000 कमरों वाला उत्तर कोरिया का यह सबसे बड़ा होटल (होटल रयुगयोंग) (Ryugyong Hotel) आज तक बंद पड़ा है. इसी वजह से इसे भूतिया होटल कहा जाने लगा है.
आखिर क्या है इस होटल की कहानी और ये आज तक क्यों बंद पड़ा है आइए जानते हैं...
किम के पिता ने बनवाया था यह होटल
साल 1987 में जब इस होटल की नींव रखी जा रही थी तब तत्कालीन तानाशाह और किम जोंग के पिता किम जोंग इल ने ऐलान किया था कि ये होटल दुनिया का सबसे बड़ा और शानदार होटल होगा.
कहा जाता है कि किम जोंग इल को इस होटल को बनाने की प्रेरणा उसकी मां किम जोंग-सुक से मिली थी. सुक को ऊंची इमारतें बेहद पसंद थीं और वो अक्सर अपने बेटे से ऐसी ही एक इमारत बनवाने की इच्छा जताती रहती थीं. अपनी मां की इच्छा पूरी करने के लिए इल ने सबसे ऊंचा होटल बनवाने की सोची.
किम जोंग इल के निर्देश पर इस होटल का निर्माण कार्य तो शुरू हुआ लेकिन ये होटल कभी पूरा बन नहीं सका. निर्माण के दौरान कभी समाग्री कम हो जाती तो कभी कोई तकनीकी दिक्कत आ जाती. इस होटल के निर्माण में सबसे बड़ी रुकावट 1992 में आई थी.
आर्थिक मंदी के चलते रुका काम
दरअसल, नब्बे के दशक में उत्तर कोरिया आर्थिक मंदी का शिकार हो गया था. तब तक इस इमारत का ढांचा तो तैयार हो गया था लेकिन होटल की फिनिशिंग का पूरा काम अभी बाकी था. अगले 16 सालों तक यह होटल इसी हालत में पड़ा रहा.
इसके बाद साल 2008 में इस होटल पर फिर से काम शुरू हुआ लेकिन सालों तक वीरान पड़े इस होटल पर नए सिरे से काम शुरू करने की वजह से इस पर लगभग 180 मिलियन डॉलर खर्च हो गए.
साल 2011 में बनकर तैयार हुआ होटल
उस समय ये दुनिया का सबसे ऊंचा होटल था. जब होटल पूरी तरह बनकर तैयार हो गया तो बात होने लगी कि आखिर ये होटल कब खुलेगा. होटल उद्योग से जुड़े कई समूहों ने ऐलान किया कि वे इस होटला का एक हिस्सा किराए पर लेकर उसे सैलानियों के लिए शुरू करेंगे, लेकिन ऐसा हो न सका. होटल की ओर से एक बयान जारी कर कहा गया कि फिलहाल ऐसा मुमकिन नहीं है, लेकिन उत्तर कोरिया प्रशासन ने इस बारे में एक भी शब्द नहीं बोला.
कमजोर बताई गई होटल की इमारत
होटल की तरफ से कहा गया है बीच-बीच में लगातार काम बंद होने की वजह से और निर्माण सामग्री का सही इस्तेमाल न होने के कारण यह इमारत कमजोर है. लेकिन अंदर की बात किसी को भी पता नहीं लगी.
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2012 में ही बीजिंग के एक कर्मचारी ने इस होटल की अंदर की तस्वीरें खींच ली थीं. इन तस्वीरों के माध्यम से खुलासा हुआ कि 105 मंजिला इस होटल के कई फ्लोर पर कोई निर्माण कार्य ही नहीं हुआ है.
2018 में चार मिनट के लिए लाइट शो के लिए खोला गया
साल 2018 में यह होटल दोबारा तब चर्चा में आया जब इसमें काफी शानदार लाइट शो हुआ. इस लाइट शो के माध्यम से उत्तर कोरिया के इतिहास को दिखाया गया.
4 मिनट तक चले इस शो में किम के परिवार के बारे में बताया गया और नारे दिखाए गए. होटल के अधूरे निर्माण के कारण जब उत्तर कोरिया का अंतरराष्ट्रीय पटल पर मजाक बनने लगता तो वह अपनी राजधानी प्योंगयांग की आधिकारिक तस्वीर से होटल को गायब दिखाने लगता है लेकिन आखिर में उसे उस होटल को दिखाना ही पड़ता है.
कहा जाता है कयामत लाने वाला होटल
उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग में स्थित यह होटल अब दुनिया की सबसे ऊंची वीरान इमारत के तौर पर जाना जाता है. इस होटल को शापित, भूतिया या कयामत लाने वाला होटल भी कहा जाता है. अमेरिकी पत्रिका इस्क्वायर ने इस होटल को मानव इतिहास की सबसे खराब इमारत कहा था.
इसके अलावा उस समय में यह होटल भले ही दुनिया की सबसे ऊंची इमारत के तौर पर गिना जाता था, लेकिन आज यह इस खिताब को भी खो चुका है. साल 2018 में गिनीज बुक ने दुबई के Gevora Hotel को दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बताया था. इस होटल की ऊंचाई लगभग 1,168 फीट (356 मीटर) है.