India-Pakistan Tensions: पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ इन दिनों जमकर उटपटांग बयान दे रहे हैं.कभी बंद कमरे में रिश्वत लेने की बात कबूलते हैं तो कभी अमेरिका के ऊपर इजरायल की मदद करने का आरोप लगाते हैं. जब से सऊदी अरब के साथ पाकिस्तान ने बड़ी डिफेंस डील को साईन किया है तब से लगता है पाकिस्तान के पर निकल आए हैं. अब रक्षा मंत्री ने भारत को लेकर एक बयान दिया है.
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने शुक्रवार को इस्लामाबाद में संवाददाताओं से कहा कि भारत द्वारा अपने पड़ोसी देश के खिलाफ युद्ध की घोषणा करने की स्थिति में सऊदी अरब पाकिस्तान की रक्षा करेगा .उन्होंने इस सप्ताह दोनों देशों के बीच हुए समझौते के 'रणनीतिक पारस्परिक सहायता' घटक पर जोर दिया.
'हां, बिल्कुल... इसमें कोई संदेह नहीं है...' आसिफ ने एक पाकिस्तानी समाचार चैनल जियो टीवी से कहा, और नाटो समझौते के अनुच्छेद 5 के साथ तुलना की, जिसमें 'सामूहिक रक्षा' का उल्लेख है, जिसका अनिवार्य रूप से यह अर्थ है कि एक गुट के सदस्य के खिलाफ सैन्य हमला सभी पर हमला है.
हालांकि, पाकिस्तानी मंत्री ने जोर देकर कहा कि सऊदी अरब के साथ समझौता 'आक्रामक' नहीं, बल्कि 'रक्षात्मक' है, और उन्होंने नाटो के साथ इसकी तुलना भी की.उन्होंने जियो टीवी से कहा, 'अगर कोई आक्रमण होता है, चाहे वह सऊदी अरब के खिलाफ हो या पाकिस्तान के खिलाफ, हम मिलकर उसका बचाव करेंगे.'
आसिफ ने रॉयटर्स को अलग से बताया, 'हमारा इस समझौते का इस्तेमाल किसी भी आक्रामकता के लिए करने का कोई इरादा नहीं है.लेकिन अगर दोनों पक्षों को धमकी दी जाती है, तो ज़ाहिर है कि यह व्यवस्था लागू हो जाएगी.'उन्होंने यह भी पुष्टि की कि पाकिस्तान के परमाणु हथियार सऊदी अरब के उपयोग के लिए उपलब्ध हैं, हालांकि सऊदी अरब का घोषित सिद्धांत कहता है कि ये हथियार केवल भारत के खिलाफ उपयोग के लिए हैं.
उन्होंने कहा, 'इस समझौते के तहत हमारी क्षमताएं निश्चित रूप से उपलब्ध होंगी.' उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने हमेशा अपने परमाणु प्रतिष्ठानों के निरीक्षण की अनुमति दी है और कभी भी उल्लंघन नहीं किया है.
एक वरिष्ठ सऊदी अधिकारी से जब पूछा गया कि क्या इस समझौते का मतलब यह है कि पाकिस्तान अब परमाणु कवच देने के लिए बाध्य है, तो उन्होंने रॉयटर्स को बताया, 'यह एक व्यापक रक्षात्मक समझौता है, जिसमें सभी सैन्य साधन शामिल हैं.'
इसके जवाब में भारत सरकार ने कहा कि पाक-सऊदी समझौता 'दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक व्यवस्था को औपचारिक रूप देता है' तथा इसके निहितार्थों पर विचार किया जा रहा है. सैन्य और राजनीतिक विश्लेषकों ने रॉयटर्स को बताया कि यह समझौता प्रभावी रूप से रियाद के धन को इस्लामाबाद के परमाणु शस्त्रागार के साथ जोड़ता है, और दोनों पक्षों के लिए एक बड़ी जीत का प्रतिनिधित्व करता है.
पाकिस्तान के लिए, सकारात्मक पहलू, निश्चित रूप से, ज़बरदस्त वित्तीय सहायता और 'अरब राष्ट्रों के गठबंधन' की संभावना है. सऊदी अरब के लिए इसका मतलब 'परमाणु कवच' है. इसका यह भी अर्थ है कि इज़राइल, जो अब तक परमाणु हथियारों तक पहुँच रखने वाला एकमात्र पश्चिम एशियाई देश है, और ईरान भी इस पर कड़ी नज़र रखेगा.
एक बड़े 'अरब गठबंधन' के सवाल पर, पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने बस इतना ही कहा, 'दरवाजे बंद नहीं हुए हैं.' उन्होंने आगे कहा, 'मैं इसका जवाब समय से पहले नहीं दे सकता... लेकिन मुझे लगता है कि सभी देशों और यहाँ के लोगों, खासकर मुस्लिम आबादी का, अपने क्षेत्र की एकजुट होकर रक्षा करना एक मौलिक अधिकार है.'