नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को कूटनीतिक मोर्चे पर बड़ी सफलता मिलने जा रही है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया का बड़ा मुस्लिम देश कजाकिस्तान अब्राहम समझौते में शामिल होकर इजरायल को औपचारिक मान्यता देने की तैयारी में है. इस कदम को इजरायल और मुस्लिम बहुल देशों के बीच सहयोग को मजबूत करने की दिशा में अहम माना जा रहा है.
अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप जल्द ही इसकी घोषणा कर सकते हैं. कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट तोकायेव गुरुवार को वॉशिंगटन में होने वाले शिखर सम्मेलन में ट्रंप और अन्य मध्य एशियाई देशों के नेताओं से मुलाकात करेंगे. उम्मीद है कि इसी दौरान कजाकिस्तान की अब्राहम समझौते में औपचारिक भागीदारी की घोषणा हो जाएगी.
अब्राहम समझौते की शुरुआत साल 2020 में हुई थी, जब ट्रंप के कार्यकाल के दौरान संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और बहरीन ने इजरायल के साथ राजनयिक संबंध सामान्य किए थे. बाद में मोरक्को और सूडान भी इसमें शामिल हुए थे. अब कजाकिस्तान के जुड़ने से यह समझौता एक बार फिर चर्चा में है. अमेरिका इस पहल को मध्य एशिया में अपना प्रभाव बढ़ाने के अवसर के रूप में देख रहा है, जहां लंबे समय से रूस और चीन का प्रभुत्व रहा है.
रिपोर्ट के अनुसार, कजाकिस्तान और इजरायल के बीच पिछले तीन दशकों से पूर्ण राजनयिक और आर्थिक संबंध मौजूद हैं, इसलिए यह कदम अधिक महत्व रखेगा. अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक, कजाकिस्तान ने खुद वॉइट हाउस से संपर्क कर समझौते में शामिल होने की इच्छा जताई है. माना जा रहा है कि यह निर्णय क्षेत्रीय सहयोग को मजबूती देगा और धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देगा.
अमेरिकी प्रशासन व्हाइट हाउस में एक औपचारिक हस्ताक्षर समारोह आयोजित करने की तैयारी में है, जिसमें उन अन्य देशों को भी आमंत्रित किया जा सकता है जो भविष्य में अब्राहम समझौते से जुड़ना चाहते हैं. इस बीच, ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने कुछ दिन पहले इशारा किया था कि एक नया देश अब्राहम समझौते में शामिल होने वाला है, हालांकि उन्होंने उस समय कजाकिस्तान का नाम नहीं लिया था.
यह विकास ऐसे समय में हुआ है जब इजरायल और फिलिस्तीन के बीच तनाव फिर से बढ़ रहा है. ऐसे में किसी बड़े मुस्लिम देश का इजरायल को समर्थन देना पश्चिम एशिया की राजनीति में महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है.