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बेंजामिन नेतन्याहू को फिर से प्रधानमंत्री बनते नहीं देखना चाहते इजराइल के लोग! सर्वे में फूटा लोगों का गुस्सा

इजराइल में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की 2026 में दोबारा चुनाव लड़ने की योजना को लेकर जनता में असंतोष देखा जा रहा है. एक सर्वे के मुताबिक, 52% नागरिकों ने नेतन्याहू के खिलाफ राय दी, जबकि 41% ने समर्थन किया.

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Edited By: Kanhaiya Kumar Jha
Prime Minister Benjamin Netanyahu India Daily
Courtesy: X/@Robiiin_Hoodx

नई दिल्ली : इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की 2026 में फिर से चुनाव लड़ने की योजना को लेकर देश के मतदाताओं में स्पष्ट असहमति उभरकर सामने आई है. हाल ही में जारी एक सर्वेक्षण में बड़ी संख्या में लोगों ने उनके खिलाफ राय जताई है, जिससे सत्ताधारी दल लिकुड (Likud) की रणनीति पर सवाल खड़े हो गए हैं.

सर्वे के प्रमुख निष्कर्ष

सर्वे पोल के अनुसार, 52 प्रतिशत इजराइली नागरिकों ने कहा कि नेतन्याहू को आगामी चुनाव में दोबारा उम्मीदवार नहीं बनना चाहिए. केवल 41 प्रतिशत लोगों ने उनका समर्थन किया, जबकि 7 प्रतिशत अब भी असमंजस में हैं.

जनता ने नेतन्याहू के विकल्प के तौर पर योसी कोहेन (Yossi Cohen) का नाम सामने रखा है, जिन्हें लिकुड पार्टी के भीतर लगभग 10 प्रतिशत मतदाताओं का समर्थन मिला. दूसरी ओर, विपक्ष के नेता नफ्ताली बेनेट (Naftali Bennett) को 44 प्रतिशत लोगों ने देश का बेहतर नेतृत्वकर्ता बताया.

सर्वे के मुताबिक, अगर चुनाव अभी कराए जाएं तो नेतन्याहू का गठबंधन संसद (केनेसैट) में केवल 50 सीटें ही हासिल कर पाएगा, जबकि बहुमत के लिए 61 सीटें जरूरी हैं. विपक्षी गठबंधन को 59 सीटें, और अरब दलों को 11 सीटें मिलने का अनुमान है.

नेतन्याहू की राजनीतिक पृष्ठभूमि

नेतन्याहू अब तक के सबसे लंबे कार्यकाल वाले प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने पांच बार अलग-अलग अवधि में सत्ता संभाली है. हालांकि, हाल के वर्षों में वे भ्रष्टाचार के आरोपों और गाज़ा युद्ध से जुड़े मामलों को लेकर विवादों में घिरे हुए हैं. वर्ष 2024 में अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) ने उनके खिलाफ युद्ध-अपराधों के लिए गिरफ्तारी वारंट तक जारी किया था.

चुनावी तस्वीर और आगे की संभावनाएं

इजराइल के बदलते राजनीतिक परिदृश्य में संभावित परिवर्तन के संकेत साफ दिख रहे हैं. नेतन्याहू ने संकेत दिया है कि अगला आम चुनाव जून 2026 से पहले भी कराया जा सकता है, हालांकि अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.

अगर जनता नेतन्याहू के नेतृत्व से सच में दूरी बनाती है, तो लिकुड पार्टी में नेतृत्व परिवर्तन की संभावनाएं बढ़ सकती हैं. ऐसे में योसी कोहेन एक प्रमुख विकल्प के रूप में देखे जा रहे हैं. वहीं विपक्षी दलों को बहुमत हासिल करने के लिए अरब दलों से गठबंधन करना पड़ सकता है, जिसे फिलहाल उन्होंने खारिज कर रखा है.