नई दिल्ली: पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर है. इस्तांबुल में चल रही वार्ता को लेकर पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने गंभीर बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि अगर बातचीत में कोई ठोस नतीजा नहीं निकला, तो पाकिस्तान 'खुले युद्ध' के लिए तैयार है. यह बयान उस समय आया है जब हालिया सीमा झड़पों के बाद दोनों देशों ने एक नाजुक युद्धविराम लागू किया है, जिसके तहत कुछ दिनों से स्थिति नियंत्रण में है.
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच इस्तांबुल में शनिवार से शुरू हुई वार्ता को क्षेत्रीय स्थिरता के लिए बेहद अहम माना जा रहा है. रविवार को खत्म होने वाली यह वार्ता दोनों देशों के बीच हुए हालिया संघर्ष के बाद शांति बहाल करने का आखिरी बड़ा प्रयास मानी जा रही है. इस बैठक का मकसद दोहा युद्धविराम को लंबे समय तक कायम रखने और सीमा पर नियंत्रण बनाए रखने का स्थायी तंत्र विकसित करना है.
ख्वाजा आसिफ ने पाकिस्तानी मीडिया से बातचीत में कहा, 'अगर समझौता नहीं हुआ तो हमारे पास खुला युद्ध का विकल्प होगा.' उन्होंने दावा किया कि अफगानिस्तान की तरफ से शांति की इच्छा दिख रही है, लेकिन पाकिस्तान किसी भी स्थिति के लिए तैयार है. आसिफ के इस बयान को काबुल के साथ बढ़ते तनाव और सैन्य तैयारियों के संकेत के रूप में देखा जा रहा है.
पिछले महीने पाकिस्तान और अफगान बलों के बीच भीषण झड़पें हुई थीं, जिसमें दर्जनों लोगों की मौत हुई थी. पाकिस्तान ने आरोप लगाया था कि अफगानिस्तान की जमीन से आतंकी संगठन पाकिस्तान पर हमले कर रहे हैं. इसके बाद पाकिस्तान ने सीमापार हवाई हमले किए, जिससे हालात और बिगड़ गए. इसी के बाद दोनों देशों ने अस्थायी युद्धविराम पर सहमति जताई थी.
इस विवाद की जड़ में पाकिस्तान का यह आरोप है कि तालिबान सरकार पाकिस्तान में आतंकी गतिविधियों को शरण दे रही है. इस पर अफगानिस्तान ने कहा कि वह अपने क्षेत्र से किसी भी आतंकी गतिविधि को प्रोत्साहित नहीं करता. दोनों देशों के बीच इन आरोपों को लेकर तनाव बढ़ता जा रहा है, खासकर तब जब सीमावर्ती इलाकों में आम लोगों को सबसे ज्यादा नुकसान झेलना पड़ रहा है.
हालिया संघर्षों के चलते कई अहम सीमा पार व्यापारिक मार्ग बंद हैं. पाकिस्तान ने अफगान सीमा पर सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी है. वहीं, काबुल प्रशासन ने भी अपनी सेना को अलर्ट पर रखा है. हालांकि दोनों देशों ने युद्धविराम का पालन जारी रखा है, लेकिन इस्तांबुल वार्ता का नतीजा आने वाले दिनों में दक्षिण एशिया के सुरक्षा समीकरण तय कर सकता है.