सीरिया में लंबे समय बाद बनी शांति फिर खतरे में पड़ती दिख रही है. ड्रूज़ बहुल स्वेइदा क्षेत्र में शुरू हुए सांप्रदायिक संघर्ष ने न सिर्फ देश के भीतर तनाव को बढ़ाया है, बल्कि इज़रायल को भी सैन्य कार्रवाई के लिए उकसाया है. ऐसे में ड्रूज़ नेताओं और सीरियाई सरकार ने युद्धविराम की घोषणा की है, लेकिन जमीनी हालात इसे अस्थायी साबित कर रहे हैं.
बुधवार को सीरिया के गृह मंत्रालय और एक प्रमुख ड्रूज़ धर्मगुरु द्वारा युद्धविराम की घोषणा की गई. इसके बाद सरकारी बलों के काफिले स्वेइदा से हटने लगे. हालांकि, इससे पहले मंगलवार को भी युद्धविराम की घोषणा हुई थी, जो कुछ ही घंटों में टूट गई. एक अन्य प्रमुख ड्रूज़ नेता, शेख हिकमत अल-हिजरी ने इस नई संधि को भी खारिज कर दिया है. इज़रायल ने इस दौरान दमिश्क में दुर्लभ हवाई हमले किए, जिनमें तीन लोगों की मौत हो गई और 34 लोग घायल हो गए हैं. इज़रायली रक्षा मंत्री ने इसे "शुरुआती चोटें" बताते हुए चेतावनी दी कि यदि सीरियाई सेना पीछे नहीं हटी, तो जवाबी कार्रवाई और तेज़ होगी.
स्वेइदा में ड्रूज़ समुदाय और सुन्नी बेदुइन जनजातियों के बीच हिंसा की शुरुआत आपसी अपहरण और हमलों से हुई. हालात को काबू में लाने के लिए सरकारी सेनाएं तैनात की गईं, लेकिन कई मामलों में उन्होंने आम नागरिकों पर भी हिंसक कार्रवाई की. इस संघर्ष ने सीरिया के नए शासन की स्थिरता को गंभीर चुनौती दी है, जिसे 14 वर्षों के गृहयुद्ध के बाद बशर अल-असद के सत्ता से हटने के बाद स्थापित किया गया है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार स्वेइदा में इंटरनेट और संचार सेवाएं ठप होने से नागरिकों को अपनों की जानकारी तक नहीं मिल रही है. दमिश्क के पास जारामाना में रहने वाली एक महिला ने बताया कि उनके पति को सुरक्षा बलों ने गोली मारी और उसके बाद से कोई जानकारी नहीं है. संयुक्त अरब अमीरात में रहने वाली कई ड्रूज़ महिलाओं ने बताया कि उनके परिवार के सदस्य तहखानों में छिपे हैं और गोलियों और बमबारी की आवाजें लगातार सुनाई दे रही हैं. कई घरों में आग लगा दी गई, और कुछ में लोगों को जिंदा जला दिया गया.
सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में सरकारी समर्थक लड़ाके ड्रूज़ धार्मिक नेताओं की मूंछें काटते और धार्मिक झंडों का अपमान करते दिखाई दे रहे हैं. दूसरी ओर, ड्रूज़ लड़ाके भी पकड़े गए सैनिकों के साथ क्रूरता करते नजर आए. सीरियन ऑब्ज़र्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स के अनुसार, कम से कम 27 लोगों को "फील्ड एग्जीक्यूशन" के तहत मार डाला गया. सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शराआ ने इन घटनाओं की निंदा करते हुए कहा कि इन अपराधों के दोषियों को सज़ा दी जाएगी.