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ईरान ने बंद किया होर्मुज जलडमरूमध्य, कैसे भारत में होगा तेल सप्लाई? जानिए क्यों चिंता की बात नहीं

Strait of Hormuz: ईरान की संसद ने आज एक अहम फैसले में होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने को मंजूरी दे दी है, जिसका उद्देश्य अमेरिका द्वारा ईरान के तीन न्यूक्लियर प्लांट्स पर बमबारी का प्रतिशोध लेना है.

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Edited By: Princy Sharma
Iran-Israel Conflict
Courtesy: Social Media

Iran-Israel Conflict: ईरान की संसद ने आज एक अहम फैसले में होर्मुज जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz) को बंद करने को मंजूरी दे दी है, जिसका उद्देश्य अमेरिका द्वारा ईरान के तीन न्यूक्लियर प्लांट्स पर बमबारी का प्रतिशोध लेना है. होर्मुज जलडमरूमध्य, जो विश्व के सबसे महत्वपूर्ण तेल शिपिंग मार्गों में से एक है उनके बंद होने से ग्लोबल ऑयल सप्लाई पर बड़ा असर पड़ेगा. यह जलडमरूमध्य रोजाना 20 लाख बैरल कच्चे तेल की सप्लाई करता है, जिसमें से 5.5 मिलियन बैरल कच्चा तेल भारत आयात करता है.

हालांकि, भारत में इस फैसले को लेकर अब तक चिंता का कोई खास माहौल नहीं है. भारत ने अपनी सप्लाई चेंस को विविधीकृत कर लिया है और अब वह रूस, अमेरिका और ब्राजील जैसे वैकल्पिक स्रोतों से सप्लाई प्राप्त कर सकता है.

भारत की तैयारी

भारत के पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने एक ट्वीट में कहा, 'हमने पिछले कुछ सालों में अपनी सप्लाई को विविधीकृत किया है. पीएम मोदी के नेतृत्व में हमारी अधिकांश आपूर्ति अब होर्मुज जलडमरूमध्य से नहीं आती.' इसके अलावा, रूस अपनी तेल आपूर्ति (supply) सूज जलडमरूमध्य, केप ऑफ गुड होप और प्रशांत महासागर से करता है. अमेरिका, पश्चिमी अफ्रीका और लैटिन अमेरिका से तेल आयात के महंगे होने के बावजूद ये ऑप्शन अब कामकाजी हो सकते हैं.

LNG आपूर्ति पर भी असर नहीं होगा

भारत के प्रमुख LNG आपूर्तिकर्ता कतर की आपूर्ति भी होर्मुज जलडमरूमध्य से प्रभावित नहीं होती है. इसके अलावा, भारत के पास एलएनजी आयात के अन्य विकल्प भी हैं, जैसे कि ऑस्ट्रेलिया, रूस और अमेरिका.

तेल की कीमतों में उछाल का अंदेशा

इस क्षेत्रीय तनाव का तात्कालिक असर तेल की कीमतों पर पड़ सकता है. विशेषज्ञों के अनुसार, कीमतें बढ़कर 80 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं, जो भारतीय उपभोक्ताओं के लिए महंगाई का कारण बन सकती है.

भारत की तेल और गैस आपूर्ति

भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरत का 90 प्रतिशत आयात करता है और प्राकृतिक गैस का लगभग आधा हिस्सा विदेशों से लाता है. कच्चे तेल से पेट्रोल और डीजल जैसी ईंधन तैयार किए जाते हैं, जबकि प्राकृतिक गैस का उपयोग बिजली उत्पादन, उर्वरक निर्माण, सीएनजी के रूप में वाहनों के लिए और घरेलू रसोई के लिए भी होता है.

होर्मुज जलडमरूमध्य 

होर्मुज जलडमरूमध्य, जो फारस की खाड़ी को अरब सागर और भारतीय महासागर से जोड़ता है, लगभग 21 मील (33 किलोमीटर) चौड़ा है. यह जलमार्ग तेल टैंकरों के लिए एक अहम रास्ता है, जिसके जरिए दुनिया का एक पांचवां हिस्सा तेल और गैस की आपूर्ति होता है. 2024 में, इस जलडमरूमध्य से रोजाना 20.3 मिलियन बैरल तेल और 290 मिलियन क्यूबिक मीटर एलएनजी का परिवहन हुआ था.

क्या होगा अगर होर्मुज बंद होता है?

यदि होर्मुज जलडमरूमध्य बंद होता है, तो सबसे ज्यादा असर एशिया पर पड़ेगा. 2022 में 82 प्रतिशत कच्चे तेल और कंडेन्सेट एक्सपोर्ट्स जो होर्मुज जलडमरूमध्य से गुजरते हैं, एशिया के देशों को भेजे जाते थे, जिसमें भारत, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया शामिल हैं.