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India Daily

ट्रम्प-पुतिन बातचीत फेल हुई तो भारत पर लगेगा और टैरिफ, अमेरिकी वित्त मंत्री ने दी धमकी

अमेरिका लंबे समय से रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष को समाप्त करने के लिए मध्यस्थ की भूमिका निभाने की कोशिश कर रहा है. ट्रम्प ने बुधवार को कड़ा रुख अपनाते हुए कहा था कि यदि मॉस्को शांति समझौते पर सहमत नहीं होता, तो उसे गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ेगा.

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Edited By: Gyanendra Sharma
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Courtesy: Social Media

अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने भारत पर एक्स्ट्रा टैरिफ लगाने की धमकी दी है. ब्लूमबर्ग के साथ इंटरव्यू में उन्होंने स्पष्ट किया कि यह टैरिफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की शुक्रवार को अलास्का में होने वाली मुलाकात के नतीजों पर निर्भर करेगा. यह मुलाकात रूस-यूक्रेन युद्ध में शांति स्थापना के लिए अमेरिका की मध्यस्थता के प्रयासों का हिस्सा है. 

अमेरिका लंबे समय से रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष को समाप्त करने के लिए मध्यस्थ की भूमिका निभाने की कोशिश कर रहा है. ट्रम्प ने बुधवार को कड़ा रुख अपनाते हुए कहा था कि यदि मॉस्को शांति समझौते पर सहमत नहीं होता, तो उसे गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ेगा. इस मुलाकात का परिणाम न केवल रूस-यूक्रेन संबंधों को प्रभावित करेगा, बल्कि भारत जैसे देशों पर भी इसका असर पड़ सकता है, जो रूस के साथ अपने व्यापारिक और रणनीतिक संबंधों को बनाए रखने की कोशिश कर रहा है. 

भारत पर क्यों है अमेरिका की नजर?

फॉक्स न्यूज को दिए एक साक्षात्कार में स्कॉट बेसेंट ने भारत के व्यापारिक रवैये पर असंतोष जताया. उन्होंने कहा कि भारत ने व्यापार वार्ताओं में कठोर रुख अपनाया है जिसके कारण इस महीने की शुरुआत में दोनों देशों के बीच बातचीत रुक गई थी. ट्रम्प ने भारत के रूस के साथ व्यापार, खासकर तेल और हथियारों की खरीद, और अन्य मतभेदों पर चर्चा को आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया था.  भारत के आयात पर अमेरिका 25% टैरिफ लागू कर चुका है. इसके अतिरिक्त, 27 अगस्त से रूस से तेल और हथियारों की खरीद पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लागू होने वाला है. इसका मतलब है कि भारत पर कुल टैरिफ 50% तक पहुंच सकता है.

भारत-रूस संबंध और अमेरिकी दबाव

भारत और रूस के बीच दशकों पुराने गहरे व्यापारिक और रक्षा संबंध हैं. रूस से तेल आयात भारत की ऊर्जा जरूरतों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जबकि रक्षा उपकरणों की खरीद भारत की सुरक्षा रणनीति का आधार है. हालांकि, अमेरिका इन संबंधों को अपने हितों के खिलाफ मानता है और भारत पर टैरिफ के जरिए दबाव बनाने की रणनीति अपना रहा है.  भारत ने हमेशा अपनी विदेश नीति में संतुलन बनाए रखने की कोशिश की है. वह न तो रूस के साथ अपने संबंधों को कमजोर करना चाहता है और न ही अमेरिका के साथ अपने रणनीतिक साझेदारी को खतरे में डालना चाहता है. लेकिन अमेरिका की टैरिफ नीति और ट्रम्प-पुतिन मुलाकात का परिणाम भारत के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर सकता है.