menu-icon
India Daily

यूपी के सरकारी स्कूल होंगे मर्ज, सरकार के फैसले पर मचा सियासी हंगामा; कांग्रेस और सपा ने खोला मोर्चा

Government School In UP: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार द्वारा कम छात्र संख्या वाले सरकारी प्राथमिक स्कूलों को मर्ज करने के फैसले पर सियासी हंगामा मच गया है. समाजवादी पार्टी के बाद अब कांग्रेस भी इस मुद्दे पर आक्रामक हो गई है.

auth-image
Edited By: Princy Sharma
Government School In UP
Courtesy: Pinterest

Government School In UP: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार द्वारा कम छात्र संख्या वाले सरकारी प्राथमिक स्कूलों को मर्ज करने के फैसले पर सियासी हंगामा मच गया है. समाजवादी पार्टी के बाद अब कांग्रेस भी इस मुद्दे पर आक्रामक हो गई है. यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को पत्र लिखकर इस योजना को गरीब बच्चों के भविष्य के लिए खतरा बताया है. वहीं, सपा सांसद प्रो. राम गोपाल यादव ने इस निर्णय को जनविरोधी करार देते हुए इसे गरीबों को शिक्षा से वंचित करने की साजिश बताया है.

अजय राय ने आरोप लगाया कि योगी सरकार का यह फैसला न केवल शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है, बल्कि यह सरकार की 'शिक्षा विरोधी' मानसिकता को भी उजागर करता है. अजय राय ने कहा कि बिना किसी ठोस मानक के स्कूलों का विलय किया जा रहा है, जिससे हजारों बच्चों को शिक्षा से वंचित किया जाएगा. उन्होंने राज्यपाल से इस योजना पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है.

निजीकरण की ओर एक और कदम?

कांग्रेस का आरोप है कि सरकार सरकारी स्कूलों को बंद कर निजी स्कूलों को फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रही है. वे कहते हैं कि सरकारी स्कूलों के एक किलोमीटर के दायरे में निजी स्कूलों को मान्यता नहीं दी जा सकती, लेकिन सरकार इस नियम को नजरअंदाज कर रही है. इससे गरीब बच्चे न तो महंगे निजी स्कूलों में पढ़ सकेंगे, न ही दूर-दराज के सरकारी स्कूलों में जाकर शिक्षा प्राप्त कर पाएंगे.

आरक्षण और भर्तियों में गड़बड़ी पर सवाल

अजय राय ने यूपी में शिक्षक भर्तियों में आरक्षण नियमों के उल्लंघन का भी मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि 69,000 शिक्षक पदों पर भर्ती में ओबीसी और एससी वर्ग को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला. इसके अलावा, कई रिक्त पदों को भरे जाने में देरी हो रही है, जिससे स्कूलों की हालत और खराब हो रही है.

सपा भी मैदान में आई

समाजवादी पार्टी के नेता प्रो. राम गोपाल यादव ने भी योगी सरकार के इस कदम का विरोध किया है. उनका कहना था कि कम छात्र वाले प्राथमिक स्कूलों को बंद करना गरीब बच्चों को शिक्षा से वंचित करने की साजिश है. उन्होंने यह भी कहा कि जब सरकार नई नियुक्तियां नहीं कर रही और पहले से कार्यरत शिक्षकों का उत्पीड़न कर रही है, तो स्कूलों की स्थिति कैसे सुधरेगी?