Henry Kissinger: संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता हेनरी किसिंजर का बुधवार को 100 वर्ष की आयु में कनेक्टिकट स्थित उनके आवास पर निधन हो गया है. वह एक राजनयिक महाशक्ति थे, जिनकी दो राष्ट्रपतियों के अधीन सेवा ने अमेरिकी विदेश नीति पर एक अमिट छाप छोड़ी थी.
हेनरी किसिंजर वैश्विक मामलों के प्रतिष्ठित हस्तियों में से एक थे. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मामलों पर कई किताबें लिखी हैं. हेनरी रिचर्ड निक्सन की सरकार में विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार थे. वे दोनों पद एक साथ संभालते थे. कहा जाता है कि विदेश नीति उनके जैसे धुरंधर कोई नहीं था. उन्होंने जुलाई 2023 में, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने के लिए बीजिंग का अचानक दौरा किया भी किया था. वियतनाम के साथ शांति समझौते में भी हेनरी का हाथ था. साल 2000 के दशक की शुरुआत में किसिंजर ने इराक पर अमेरिकी हमले में जॉर्ज बुश सरकार का समर्थन किया था.
अमेरिकी विदेश नीति के प्रमुख वास्तुकार के रूप में किसिंजर का शासन 1974 में निक्सन के इस्तीफे के साथ कम हो गया था. फिर भी, वह राष्ट्रपति गेराल्ड फोर्ड के अधीन एक राजनयिक ताकत बने रहे और जीवन भर अपने देश के हीत में राय पेश करते रहे. जबकि कई लोगों ने किसिंजर की प्रतिभा और व्यापक अनुभव के लिए सराहना की तो दुसरी और ऐसे भी लोग थे जिन्होंने उनकी लैटिन अमेरिका में कम्युनिस्ट विरोधी ताना्शाही के सरमर्थन के लिए युद्ध अपराधी करार दिया था.
1973 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए किस किसिंजर और उत्तरी वियतनाम के ले डक थो को संयुक्त रूप से दिया गया, जिन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया था यह अब तक के सबसे विवादास्पद पुरस्कारों में से एक था. इसमें नोबेल समिति के दो सदस्यों ने इनके चयन को लेकर इस्तीफा दे दिया था क्योंकि कंबोडिया पर अमेरिका की गुप्त बमबारी को लेकर सवाल उठ रहे थे.
हेंज अल्फ्रेड किसिंजर का जन्म 27 मई, 1923 को जर्मनी के फर्थ में हुआ था और यूरोपीय यहूदियों को खत्म करने के नाजी अभियान से पहले 1938 में अपने परिवार के साथ वे संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए थे.
1971 में पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए थे, उस पूर्वी हिस्सा बांग्लादेश बन गया था. इसमें भारत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.लेकिन बांग्लादेश की आजादी से एक महीने पहले भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी निक्सन और किसिंजर से मिलने पहुंची थीं. बैठक के बाद निक्सन और किसिंजर के बीच बातचीत के दौरान, दोनों व्यक्तियों ने इंदिरा को अपशब्द कहा था. किसिंजर ने उन पर "जंग शुरू करने" का आरोप लगाया था. किसिंजर ने भारतीयों को "सबसे आक्रामक लोग" और चापलूस कहा था.