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India Daily

'पाकिस्तान आतंकवादियों को पाल रहा', दुनिया के लिए खतरा, FATF की रिपोर्ट में खुलासा

भारत सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि FATF की रिपोर्ट में जिस तरह से ‘राज्य प्रायोजित आतंकवाद’ की अवधारणा को स्वीकार किया गया है, उससे भारत की स्थिति और भी मज़बूत हुई है.

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Edited By: Reepu Kumari
FATF Report
Courtesy: Pinterest

FATF Report: पेरिस स्थित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में आतंकवाद के वित्तपोषण को लेकर अहम खुलासे किए हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पहली बार रिपोर्ट में ‘देशों’ की भूमिका को सीधे तौर पर स्वीकार किया गया है. यानी अब आतंकवाद की जड़ें केवल संगठनों में नहीं, बल्कि कुछ देशों की नीतियों में भी खोजी जा रही हैं.

भारत लंबे समय से यह आरोप लगाता रहा है कि पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) जैसे आतंकवादी संगठनों को सक्रिय रूप से समर्थन देता है. अब FATF की यह रिपोर्ट भारत के दावे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर मज़बूती देने वाली साबित हो सकती है.

भारत के दावों को मिला बल

भारत सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि FATF की रिपोर्ट में जिस तरह से ‘राज्य प्रायोजित आतंकवाद’ की अवधारणा को स्वीकार किया गया है, उससे भारत की स्थिति और भी मज़बूत हुई है. 2022 में भारत ने अपनी मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग रिस्क रिपोर्ट में पाकिस्तान को इस खतरे का मुख्य स्रोत बताया था.

FATF की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि राजनीतिक अस्थिरता, कमजोर कानून व्यवस्था, और व्यापक भ्रष्टाचार वाले देश आतंकवादी संगठनों के लिए सुरक्षित ठिकाने बन जाते हैं. पाकिस्तान की मौजूदा स्थिति इस विवरण से मेल खाती है.

गेमिंग प्लेटफॉर्म और नकली एनजीओ भी बने जरिया

रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन गेमिंग वेबसाइटों और गैर-लाभकारी संगठनों का इस्तेमाल कर रहे हैं. लश्कर और जैश जैसे संगठन फर्जी धर्मार्थ संस्थाओं के माध्यम से फंड इकट्ठा कर रहे हैं, और गेमिंग प्लेटफॉर्म्स का उपयोग युवाओं को कट्टरपंथ की ओर मोड़ने, संवाद स्थापित करने और धन इकट्ठा करने के लिए कर रहे हैं.

यह एक नई चुनौती है, क्योंकि ये प्लेटफॉर्म साइबर दुनिया में सक्रिय हैं और ट्रैक करना मुश्किल होता है. रिपोर्ट में इस डिजिटल टेररिज्म पर कड़ी चिंता जताई गई है.

कैसे फंसेगा पाकिस्तान?

FATF की रिपोर्ट में पाकिस्तान में आतंकवाद को मिलने वाले राज्यस्तरीय समर्थन और बैंकिंग चैनलों के दुरुपयोग का सीधा ज़िक्र है. भारत ने अप्रैल 2025 में हुए पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाया है कि उसे दोबारा FATF की ग्रे लिस्ट में डाला जाए.

अगर पाकिस्तान फिर से ग्रे लिस्ट में शामिल होता है तो उसकी अंतरराष्ट्रीय फंडिंग, निवेश और व्यापारिक छवि को भारी नुकसान पहुंचेगा. विदेशी कंपनियां निवेश से बचेंगी और वित्तीय लेनदेन पर कड़ी निगरानी बढ़ेगी.

पुलवामा से लेकर पहलगाम तक फंडिंग का पैटर्न उजागर

FATF ने रिपोर्ट में 2019 के पुलवामा हमले में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग और अप्रैल 2025 के पहलगाम हमले में संदिग्ध वित्तीय लिंक का भी ज़िक्र किया है. ऐसे में भारत को पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई की ज़मीन मिल सकती है.

FATF की यह रिपोर्ट केवल एक दस्तावेज़ नहीं, बल्कि आतंकवाद के वैश्विक नेटवर्क की सच्चाई को उजागर करने वाला आईना है. अब सवाल ये है कि क्या दुनिया पाकिस्तान को आतंक के समर्थक देश के रूप में खुलेआम स्वीकार करेगी?