अरबपति एलन मस्क ने अमेरिका में एक नई तीसरी पार्टी, ‘अमेरिका पार्टी’, शुरू की है. यदि यह गति पकड़ती है, तो यह देश की सदी से चली आ रही दो-पक्षीय व्यवस्था को चुनौती दे सकती है. विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के बावजूद, अमेरिका में 1900 के दशक से कोई बड़ी तीसरी पार्टी स्थापित नहीं हो सकी है.
मस्क को इन चुनौतियों से पाना होगा पार
अमेरिका की राजनीतिक व्यवस्था तीसरी पार्टियों के लिए मतपत्र पर जगह बनाना कठिन बनाती है. भारत में जहां 10,000 रुपये और कागजी कार्रवाई से पार्टी पंजीकरण हो जाता है, वहीं अमेरिका में हजारों हस्ताक्षर एकत्र करने पड़ते हैं. कैलिफोर्निया में 105 दिनों में 2 लाख से अधिक और टेक्सास में 70 दिनों में 1 लाख से अधिक हस्ताक्षर चाहिए. इसके लिए स्वयंसेवकों और भारी धन की जरूरत होती है. 2024 तक राष्ट्रपति उम्मीदवारों ने 57 करोड़ डॉलर जुटाए, जिसमें 60% रिपब्लिकन, 32% डेमोक्रेट और केवल 6.6% तीसरी पार्टियों को मिले.
मीडिया तक सीमित पहुंच
तीसरी पार्टी के उम्मीदवारों को राष्ट्रपति बहस में शायद ही शामिल किया जाता है. आखिरी बार 1992 में रॉस पेरोट ने हिस्सा लिया था. बहस के नियमों में 15% राष्ट्रीय सर्वेक्षण और 270 इलेक्टोरल वोट जीतने की योग्यता शामिल है. ग्रीन पार्टी की जिल स्टीन (2012, 2016, 2024) को बहस से बाहर रखा गया.
संरचनात्मक बाधाएं
अमेरिका में ‘the winner Takes It All’ सिस्टम है, जहां सबसे ज्यादा वोट पाने वाला उम्मीदवार राज्य के सभी इलेक्टोरल वोट जीतता है. इससे तीसरी पार्टी को प्रतिनिधित्व मिलना मुश्किल है. मतदाता ‘वोट बर्बाद’ होने के डर से मुख्य दलों को चुनते हैं.
मस्क की ताकत
मस्क की 400 अरब डॉलर की संपत्ति और 2024 में ट्रंप के समर्थन में 27.7 करोड़ डॉलर खर्च करने की क्षमता उन्हें मजबूत बनाती है. उनकी मालिकाना हक वाली X, जिसमें 58.6 करोड़ मासिक यूजर्स हैं, पारंपरिक मीडिया को बायपास कर मतदाताओं तक सीधे पहुंचने की सुविधा देती है. विशेषज्ञों का मानना है कि एलन मस्क की नई अमेरिका पार्टी राजनीतिक गतिशीलता को बदल सकती है.
जनता की मांग
2024 के गैलप पोल के अनुसार, 63% मतदाता एक नई प्रमुख पार्टी चाहते हैं. मस्क की लोकप्रियता और संसाधन इस मांग को भुना सकते हैं, जिससे दो-पक्षीय व्यवस्था पर सवाल उठ सकते हैं.