Brazil Flood: ब्राज़ील में मूसलाधार बारिश के बाद बाढ़ और लैंडस्लाइड से कम से कम 57 लोगों की मौत हो गई है. हजारों लोगों को अपने घरों से बेघर होना पड़ा है. अल जज़ीरा ने ब्राजील सरकार के हवाले से बताया कि ढहे हुए घरों, पुलों और सड़कों के मलबे के बीच फंसे जीवित बचे लोगों का पता लगाने के लिए लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है. दावा किया जा रहा है कि भयंकर बारिश के बाद रियो ग्रांडे डो सुल में वाटर लेवल में बढ़ोतरी के बाद बांधों पर दबाव पड़ रहा है, जिससे पोर्टो एलेग्रे महानगर को खतरा है.
गवर्नर एडुआर्डो लेइट ने आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी है. उन्होंने कहा कि हम हमारे इतिहास में सबसे खराब आपदा से निपट रहे हैं. गवर्नर लेइट ने अफसोस जताते हुए कहा कि ये काफी गंभीर है और हमें इस वास्तविकता को स्वीकार करना होगा कि मरने वालों की संख्या और बढ़ने की उम्मीद है.
राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला डी सिल्वा ने बाढ़ से प्रभावितों को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया और कहा कि किसी भी प्रभावित इलाके में किसी भी राहत सामग्री की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी. उधर, चेतावनी जारी की गई है कि गुइबा नदी का जलस्तर खतरनाक लेवल पर पहुंच सकता है, जिससे मौजूदा प्रभावित क्षेत्र के डूबने की आशंका है.
शनिवार को साझा किए गए लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, 281 म्यूनिसिप्लिटिज को प्रभावित करने वाली बाढ़ से कम से कम 74 अन्य घायल हो गए हैं. अधिकारी उन बांधों की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं जो पानी की इतनी अधिक मात्रा को संभालने के लिए डिज़ाइन नहीं किए गए हैं.
सोशल मीडिया पर वायरल कुछ तस्वीरों में कुछ इलाकों में मटमैला पानी छतों तक और सड़कों पर फैला दिख रहा है. रेस्क्यू टीम सड़कों के बीच भरी नावों के सहारे फंसे प्रभावितों को सुरक्षित स्थान तक ले जाते दिखे.
अधिकारियों ने कहा कि शनिवार की सुबह तेज बारिश के कारण गुइबा झील में जल स्तर पांच मीटर बढ़ गया, जिससे राज्य की राजधानी पोर्टो एलेग्रे को खतरा हो गया.
ब्राज़ील फाउंडेशन ने ब्राज़ीलियाई सुपरमॉडल गिसेले बुंडचेन के सहयोग से बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए एक फंड बनाया गया है. रियो ग्रांडे डो सुल हाल के वर्षों में चरम मौसम की घटनाओं से तेजी से प्रभावित हुआ है.
पिछले कुछ हफ़्तों में बारिश ने अलग-अलग जगहों पर कहर बरपाया है. इनमें रेगिस्तानी शहर दुबई भी शामिल है. एक ओर लगातार गर्मी और सूखे के कारण दक्षिण पूर्व एशिया में जलाशय सूख रहे हैं, जबकि केन्या बाढ़ और भारी बारिश से जूझ रहा है.