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एक जान की कीमत 17.5 करोड़? जानें क्या है इंजेक्शन जोलगेनेस्मा जिसने बचाई मासूम की जान

Injection Zolgensma Price:  जयपुर में स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉपी से पीड़ित ह्रदयांश को आज दुनिया का सबसे मंहगा इंजेक्शन लगाया गया है. इस इंजेक्शन की वजह से वह अपनी नई जिंदगी जी सकेगा.

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Edited By: India Daily Live
Injection Zolgensma

Injection Zolgensma Price:  स्पाइनल मस्कुलर बीमारी से पीड़ित हृदयांश को आज दुनिया का सबसे महंगा इंजेक्शन लग गया. इस इंजेक्शन की कीमत 17.5 करोड़ बताई गई है. इस खास इंजेक्शन को अमेरिका से मंगाया गया था. हृदयांश को बचाने के लिए बड़े स्तर पर मुहिम चलाई गई थी. इस इंजेक्शन को दुनिया में अभी तक 3500 बच्चों को दिया जा चुका है. 

हृदयांश स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉपी से पीड़ित था. यह एक जेनेटिक बीमारी है. इस बीमारी में कमर के नीचे का हिस्सा बिलकुल काम नहीं करता है. इस बीमारी का इलाज 24 महीने की उम्र तक ही हो सकता है. समय पर इलाज न होने से यह बीमारी पूरे शरीर में फैल जाती है. इस बीमारी में फेफड़े काम करना बंद कर देते हैं. इसे ठीक करने के लिए विशेष प्रकार के इंजेक्शन की जरूरत होती है. 

क्या है स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉपी? 

स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉपी (SMA) को ठीक करने के लिए जोलगेनेस्मा इंजेक्शन का इस्तेमाल होता है. यह दुनिया की सबसी महंगी खुराकों में से एक है. इसके एक इंजेक्शन की कीमत लगभग साढे़ सत्रह करोड़ रुपये है. हालांकि खास बात यह है कि भारत में यह इंजेक्शन की स्वीकृति नहीं है लेकिन सरकारी आग्रह और डॉक्टर की सलाह पर इसे विदेश से मंगाया जा सकता है.इस इंजेक्शन का निर्माण स्विस फार्मास्यूटिकल कंपनी नोवार्टिस ने किया है. इसका काम दुर्लभ अनुवांशिक बीमारी SMA का इलाज करना है. इकॉनमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में इस बीमारी से 10,000 से लेकर 25,000 बच्चे और युवा इस बीमारी से पीड़ित हैं. 

क्यों है इतना मंहगा? 

यह इंजेक्शन ऐसी दवा है जो किसी शख्स के यूनिक जेनेटिक कोड के कारण होने वाली समस्याओं को लक्षित करता है. यह इंजेक्शन पर्सनालाइज्ड और प्रिसीजन की श्रेणी में आता है. प्रिसीजन मेडिकेशन को कन्वेंशल मेडिसिन से ज्यादा प्रभावी माना जाता है. जीन थेरेपी का इलाज अच्छा है लेकिन इसकी दवा काफी महंगी और कठिन है. यही कारण है कि दवा कंपनियैां इसकी लागत मरीजों पर डालती हैं. उत्पादन क्षमता भी बेहतर न होने के कारण और अधिक कच्चे माल की जरूरत के कारण इसकी कीमत इतनी ज्यादा होती है. ह्रदयांश का इलाज कर रहे डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे को 24 घंटे और निगरानी में रखा जाएगा. इसके बाद सब ठीक रहा तो उसे अस्पताल से छुट्टी दी जाएगी.