कावेरी इंजन भारत की एक महत्वाकांक्षी स्वदेशी रक्षा परियोजना है, जिसे 1980 के दशक में शुरू किया गया था. यह DRDO की गैस टरबाइन अनुसंधान प्रतिष्ठान (GTRE) द्वारा विकसित टर्बोफैन इंजन है, जिसका उद्देश्य हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस के लिए स्वदेशी इंजन तैयार करना था. हाल के दिनों में यह परियोजना फिर से सुर्खियों में है, विशेष रूप से राफेल विमानों के संदर्भ में. आइए, इसके इतिहास और राफेल से संबंध को समझें...
कावेरी इंजन का उद्देश्य
राफेल से संबंध
राफेल, फ्रांस का डबल-इंजन मल्टीरोल लड़ाकू विमान, भारतीय वायुसेना का हिस्सा है. भारत ने राफेल के ‘सोर्स कोड’ की मांग की थी ताकि स्वदेशी हथियारों को इसमें एकीकृत किया जा सके, लेकिन फ्रांस ने इनकार कर दिया. फ्रांस के रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली ने कहा था, “हम मेक इन इंडिया नीति का समर्थन करेंगे, लेकिन सोर्स कोड साझा करना संभव नहीं है.” फ्रांस की कंपनी सैफरान ने 2019 में भारत में राफेल के स्वदेशी इंजन बनाने का प्रस्ताव दिया, जिसमें कावेरी इंजन की तकनीक का उपयोग हो सकता है.
कावेरी इंजन को तेज करने की मांग बढ़ी
ऑपरेशन सिंदूर के बाद कावेरी इंजन को तेज करने की मांग बढ़ी है. सोशल मीडिया पर #FundKaveriEngine ट्रेंड कर रहा है, जहां लोग सरकार से इस प्रोजेक्ट में निवेश की मांग कर रहे हैं. एक रक्षा विशेषज्ञ ने कहा, “कावेरी इंजन भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता का प्रतीक है.”