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'सब खत्म हो गया,' वायनाड लैंडस्लाइड में 540 घर जमींदोज, मिट्टी में मिल गया गांव, सब तबाह, रुला देगी ये आपबीती

वायनाड में हुए भूस्खलन में सब तबाह हो गया है. वायनाड में अब तक 256 लोगों की मौत हो चुकी है. पूरा गांव साफ हो गया है. वायनाड से अब तक 170 लोग तबाह हो चुके हैं. मुख्यमंत्री का दावा है कि 1,500 लोगों को बचा लिया गया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि हम सब खो चुके हैं. इस त्रासदी में कुछ भी नहीं बचा है.

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Edited By: India Daily Live
Kerala
Courtesy: X/NDRF

केरल के वायनाड में हुए भीषण तबाही में पूरा गांव बह गया है. विनाशकारी भूस्खलन के 48 घंटे के बाद मुंदक्कई गांव, वीरान हो गया है. वहां लोगों की लाशें दबी हैं और दर्जनों लोगों की कब्रगाह का गांव बन गया है. कई लोग भूस्खलन में फंसकर जान गंवा चुके हैं, कई लोग लापता हैं और जमीन के इतने अंदर दबे पड़े हैं, जहां से उनका निकलना अब असंभव है. रेस्क्यू टीमें, 24 घंटे काम कर रही हैं लेकिन लाशें पूरी तरह से नहीं निकाली जा सकी हैं.  

इस रेसक्यू ऑपरेशन की निगरानी, राज्य सरकार कर रही है. कंट्रोल रूम 24 घंटे एक्टिव मोड में है. बुधवार शाम तक भूस्खलन में 256 लोग जान गंवा चुके हैं, 170 लोग लापता हैं. केंद्रीय और राज्य की बचाव एंजेसियां मिलकर स्थानीय लोगों की मदद से रेस्क्यू और बचाव अभियान चला रही हैं. केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने का दावा है कि भूस्खलन की चपेट में आने के बाद से 1,592 लोगों को बचाया गया है.

कब्रिस्तान बन गया जिंदा गांव, सब तबाह

पश्चिमी घाट के पास बसे मुंदक्कई गांव अब उजड़ी जगह है, जिसे जिंदा कब्रिस्तान भी कह सते हैं. यहां रेस्क्यू भी बचावकर्मियों के लिए बेहद मुश्किल रहा. ये गांव, केरल के कुछ सबसे खूबसूरत गांवों में से एक था. यहां रिसॉर्ट्स, पर्यटकों के लिए होम स्टे, काफी बागानों से भरा-पूरा गांव था. ये गांव, अब मिट्टी में मिल चुका है. यह गांव मेप्पाडी पंचायत का हिस्सा था. अंदर से बाहर तक सब तबाह हो चुका है.

मलबे में दबी हैं लाशें, अब वीरान है ये गांव

पानी के तेज बहाव, भूस्खलन और मलबे में सब खत्म हो गया. यहां कभी सैकड़ों घर थे, मस्जिद, डाकघर और कई इमारतें थीं, जिनके अब नामो-निशां नहीं हैं. त्रासदी के बाद एक लंबे वक्त तक इरुवाझांजी नदी पर बना पुल बह जाने की वजह से गांव से 2 किलोमीटर दूस चूरलमाला जंक्शन से संपर्क कटा रहा. 

जान झोंककर लोगों को बचा ले गए 'देवदूत'

मंगलवार को यहां 30 सदस्यीस NDRF की टीम पहुंची. स्कूबा डाइविंग के 55 सदस्य पहुंचे. सेना और एनडीआरएफ के जवान किसी तरह से यहां पहुंचे. बुधवार को सेना ने 10 शव निकाला. जवान रस्सी लेकर त्रासदी वाली जगह पहुंचे. मुंदक्कई गांव को बचाने के लिए लोगों ने जी-जान झोंक दी.

1200 आबादी, 256 से ज्यादा मरे, कई लोग लापता

स्थानीय लोगों का कहना है कि गांव की आबादी करीब 1,200 थी. बड़ी संख्या में लोगों को बचाया जा सका है लेकिन कई लोग मारे गए हैं. मुंदक्कई में कुल 540 घर थे जिनमें काफी स्टेट के कर्मचारी भी रहे थे. उनमें से 50 से कम भी बचे हैं. अभी कई लोग लापता हैं जिनका पता नहीं चल सकता है. कई शव बह गए हैं. पंचायत की आशा कार्यकर्ता अब बचे हुए लोगों से उनके परिवार के बारे में जानकारी हासिल करेंगी. 

अस्थाई पुल भी बह गया, ये हादसा रुला देगा 

बुधवार को बचाव टीम इरुवांझी नदी के पार मुंदक्कई तक अर्थ मूवर लेकर पहुंची है. नदी में मशीन उतारी गई है और बड़े-बड़े पत्थर हटाए जा रहे हैं. बुधवार को भारी बारिश की वजह से नदी पर बनाया गया एक अस्थायी पुल भी बह गया है. बचावकर्मी खुद इसमें फंस गए थे. शाम 6 बजे किसी तरह रस्सियों के सहारे जवान बचकर बाहर निकले.  

ऐसी तबाही कभी न आए!

सेना के मद्रास इंजीनियर ग्रुप की एक टीम गुरुवार शाम तक बेली ब्रिज बनाने की तैयारी कर रही है, जिससे बचाव कर्मी अपना काम कर सकें. लोगों तक राहत सामग्री पहुंचाई जा सके. यह ब्रिज करीब 190 फीट ऊंचा होगा. दिल्ली से बड़ी संख्या में मशीनें भेजी गई हैं. कन्नूर एयरपोर्ट से 17 ट्रक इन्हें लेकर वायनाड पहुंच रहे हैं. इस तबाही में सब साफ हो चुका है.