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'बेवफा सोनम गुप्ता', सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली के वोटर्स को बताया 'बेवफा'

सौरभ भारद्वाज ने बताया कि दिल्ली में करीब 18 प्रतिशत वोटर्स ऐसे हैं, जो आमतौर पर लोकसभा चुनाव में BJP को वोट देते हैं लेकिन विधानसभा चुनाव में AAP का समर्थन करते थे. हालांकि, इस बार इनमें से 9 प्रतिशत वोटर्स BJP के साथ ही बने रहे, जिससे आम आदमी पार्टी को अपेक्षित समर्थन नहीं मिल पाया.

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Edited By: Gyanendra Sharma
Saurabh Bhardwaj
Courtesy: Social Media

दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज  ने अपनी हार का कारण 9 प्रतिशत वोटर्स को ठहराया है. उनका कहना है कि ये वे वोटर्स हैं, जो पहले आम आदमी पार्टी का समर्थन करते थे, लेकिन इस बार भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पक्ष में रुख कर गए. भारद्वाज ने मजाकिया अंदाज में इस स्थिति की तुलना वायरल मीम 'सोनम गुप्ता बेवफा है' से की, जिससे उनकी टिप्पणी सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई है.  

सौरभ भारद्वाज ने बताया कि दिल्ली में करीब 18 प्रतिशत वोटर्स ऐसे हैं, जो आमतौर पर लोकसभा चुनाव में BJP को वोट देते हैं लेकिन विधानसभा चुनाव में AAP का समर्थन करते थे. हालांकि, इस बार इनमें से 9 प्रतिशत वोटर्स BJP के साथ ही बने रहे, जिससे आम आदमी पार्टी को अपेक्षित समर्थन नहीं मिल पाया. भारद्वाज ने इन्हीं वोटर्स को मजाकिया लहजे में ‘बेवफा’ कहा और अपनी हार के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया.  

मीम का राजनीतिक उपयोग  

भारद्वाज का ‘बेवफा’ शब्द का उपयोग सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. उन्होंने 'सोनम गुप्ता बेवफा है' वाले मीम का जिक्र कर हल्के-फुल्के अंदाज़ में अपनी बात रखी, लेकिन इसके पीछे चुनावी गणित की गंभीरता भी छिपी थी. उन्होंने यह इंगित किया कि कैसे वोटर्स का मामूली प्रतिशत भी चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकता है. सौरभ भारद्वाज ने याद किया कि 2015 में जब 'आप' की आंधी चल रही थी और 67 सीटों पर जीत हासिल की तब भी करीब 32 फीसदी वोट भाजपा को मिला. भारद्वाज ने कहा, 'भाजपा का दिल्ली में 32-33 पर्सेंट ऐसा वोट है जिसको कोई फर्क नहीं पड़ता जनलोकपाल आंदोलन हो रहा है, आप की आंधी चल रही हो या कुछ भी हो रहा हो. वो वोटर बेस भाजपा को हमेशा मिलता रहा है.'

चुनावी रणनीति पर सवाल

 चुनावी परिणामों के बाद, सौरभ भारद्वाज के इस बयान ने राजनीतिक विश्लेषकों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है. क्या AAP की चुनावी रणनीति में कमी थी या फिर BJP की रणनीति ज्यादा प्रभावी साबित हुई? राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि AAP को इन 9 प्रतिशत वोटर्स की नाराजगी या उनके झुकाव के कारणों को समझकर भविष्य की रणनीति बनानी होगी.