Rahul Gandhi Savarkar defamation case: पुणे की एक विशेष अदालत ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर के खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणियों के मामले में पेशी से स्थायी छूट दे दी है. अदालत ने यह फैसला इस आधार पर लिया कि राहुल गांधी को ‘जेड-प्लस’ श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त है और वे विपक्ष के नेता हैं, जिनकी व्यस्तताएँ राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण हैं.
मामले की सुनवाई कर रहे सांसद/विधायक अदालत के न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) अमोल शिंदे ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि "आरोपी लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं और उन्हें कई महत्वपूर्ण बैठकों में भाग लेना पड़ता है." अदालत ने यह भी माना कि "पुणे यात्रा के दौरान सुरक्षा इंतजामों पर आने वाले खर्च और कानून-व्यवस्था के मसलों" को ध्यान में रखते हुए राहुल गांधी को "मामले में व्यक्तिगत पेशी से स्थायी छूट" दी गई है.
पेशी से स्थायी छूट की याचिका
राहुल गांधी की ओर से अधिवक्ता मिलिंद पवार ने अदालत में याचिका दायर की थी, जिसमें "पेशी से स्थायी छूट" का अनुरोध किया गया था. याचिका में यह दलील दी गई थी कि राहुल गांधी को "उच्च-स्तरीय सुरक्षा" मिली हुई है और उनके "राष्ट्रीय कर्तव्यों" के कारण उन्हें कई महत्वपूर्ण बैठकों में भाग लेना पड़ता है. यह मानहानि मामला सावरकर के एक रिश्तेदार द्वारा दायर किया गया था, और इसमें राहुल गांधी को पहले ही जमानत मिल चुकी है.
मामले की पृष्ठभूमि
यह मानहानि मामला मार्च 2023 में लंदन में राहुल गांधी द्वारा दिए गए एक भाषण से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने "विनायक दामोदर सावरकर" द्वारा लिखी गई "एक किताब का उल्लेख" करते हुए "विवादास्पद टिप्पणियाँ" की थीं. इस भाषण के बाद सावरकर के पौत्र ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज करवाया था. पिछले माह, राहुल गांधी ने ऑनलाइन माध्यम से अदालत के समक्ष पेशी दी थी, जिसके बाद उन्हें जमानत मिल गई थी.
राजनीतिक प्रतिक्रिया और भविष्य की संभावनाएं
राहुल गांधी को पेशी से स्थायी छूट मिलने के बाद राजनीतिक हलकों में मिश्रित प्रतिक्रियाएँ देखने को मिल रही हैं. कांग्रेस ने अदालत के फैसले का स्वागत किया है, जबकि भाजपा ने इसे "कानून से बचने का प्रयास" करार दिया है. हालांकि, मामले की विस्तृत सुनवाई जारी रहेगी और राहुल गांधी के कानूनी प्रतिनिधि उनके पक्ष की पैरवी करते रहेंगे.