नई दिल्ली: पूर्व सीएम उमा भारती ने अपने हरफनमौला अंदाज और बेबाक बयान के लिए जानी जाती है. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही उमा भारती के तेवर बदले-बदले से नजर आ रहे है. महिला आरक्षण बिल पास होने के बाद ओबीसी वर्ग की महिलाओं को संसद और विधानसभा में आरक्षण देने संबंधित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उमा भारती ने कहा कि देश में चतुर्वण व्यवस्था थी उसमें पिछड़े वर्ग का नाम नहीं था. फिर वो व्यवस्था बाबा साहब अंबेडकर के बाद समाप्त हुई तो एससी एसटी और अन्य पिछड़ा वर्ग कहलाने लगे इससे पहले वो कुछ नहीं कहलाते थे. बाकी सब अपर कास्ट हो गये.
आजाद भारत के पहले रियासत और राज्यों के बारे में बोलते हुए उमा भारती मे कहा कि होलकर राज्य पिछड़ों का था. गायकवाड राज्य यादवों का था. होलकर राज्य गडरियों का था. सिंधिया राज्य कुर्मियों का था और वहां के महाराज और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया कुर्मी है, वहीं राजा मिहिर गुर्जर थे.
उमा भारती ने अपने संबोधन में आगे कहा कि "एक समय पूरे देश में ओबीसी राज करने वाला समुदाय था. कुल मिलाकर यह राज्य करने वाला समूह भी रहा और खेती करने वाला भी रहा. ओबीसी समाज में विद्वान भी रहे शौर्यवान भी रहे. आज भी पिछड़ा वर्ग के लड़का लड़कियों को पढ़ने का जैसे ही मौका मिला है तेजी से उन्होंने दौड़ लगा दी. बस गड़बड़ वहां हुई जब भारत में आरक्षण की व्यवस्था लागू हुई. ओबीसी समाज पीछे छोड़ दिए गए. अब राजनीतिक दलों की जरूरत पर निर्भर हो गया है वह 60% वर्ग को अपने साथ रखना चाहते है या नहीं. उनको जरूरत पड़ेगी तो आपको लेंगे नहीं जरूरत पड़ेगी तो नहीं लेंगे"
देश की सियासत में ओबीसी की राजनीति हमेशा से केंद्र बिंदु में रहा है. सरकार ने महिला आरक्षण को लागू करने से पहले परिसीमन और जनगणना कराने की बात कही है. ऐसे में विपक्षी दलों की ओर से जातिवार जनगणना कराकर महिला आरक्षण में ओबीसी समाज की महिलाओं को हिस्सेदारी देने की मांग जोर-शोर से उठाई जा रही है. देश में आखिरी बार जातिवार जनगणना की गिनती 1931 में हुई थी. तब देश में 52% आबादी OBC थी. इसके बाद से इसकी गिनती नहीं हुई. अगर हुई भी तो इसे सार्वजनिक नहीं किया गया.
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