Assam Two-Child Policy: असम सरकार ने आदिवासी, चाय जनजाति, मोरान और मटक समुदायों के लिए सरकारी नौकरियों में टू-चाइल्ड पॉलिसी (दो बच्चा नीति) को समाप्त कर दिया. मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कैबिनेट बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यह कदम इन समुदायों को विलुप्त होने से बचाने के लिए उठाया गया है. सामाजिक वैज्ञानिकों से परामर्श के बाद लिया गया यह निर्णय इन सूक्ष्म समुदायों की पहचान को मजबूत करेगा.
विलुप्ति का खतरा: नीति से छूट का कारण
मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी कि सख्त नीति से ये समुदाय 50 वर्षों में लुप्त हो जाएंगे. मोरान समुदाय की आबादी मात्र एक लाख है. 2019 के असम पब्लिक सर्विसेज नियमों के तहत जनवरी 2021 से लागू दो-बच्चा नीति से अब ये समुदाय बाहर. 2021 में सत्ता आने पर एससी-एसटी और वनवासी समुदायों को छूट दी गई थी- अब इसे विस्तार. पंचायत चुनावों में भी न्यूनतम शिक्षा, शौचालय के साथ दो-बच्चा मानदंड बना रहेगा, लेकिन कल्याण योजनाओं में धीरे-धीरे लागू होगा.
नेली नरसंहार रिपोर्ट: विधानसभा में पेश
कैबिनेट ने 1983 के नेली नरसंहार पर तिवारी आयोग रिपोर्ट को नवंबर सत्र में टेबल करने को मंजूरी दी. 1979-85 की असम आंदोलन के दौरान मोरीगांव में 2100 से अधिक लोग मारे गए, ज्यादातर मुस्लिम. रिपोर्ट की प्रामाणिकता की जांच फोरेंसिक और पुराने अधिकारियों से हुई- अब सार्वजनिक.
चाय जनजातियों को जमीन अधिकार: 96,000 एकड़ वितरण
चाय जनजातियों के लिए नया विधेयक लाया जाएगा. भूमि सीमा कानून संशोधन से 2.9 लाख बीघा (96,000 एकड़) भूमि 4 लाख परिवारों में बंटेगी. 75 वर्षों बाद यह सामाजिक क्रांति लाएगा. साथ ही, असम पेट्रो-केमिकल्स की मेथनॉल प्लांट परियोजना का खर्च 1709 करोड़ से बढ़ाकर 2267 करोड़ मंजूर- राज्य योगदान बढ़ेगा. ये कदम असम की सामाजिक एकता मजबूत करेंगे.