menu-icon
India Daily

त्रिपुरा में भाजपा गठबंधन पर छाए संकट के बादल, टिपरा मोथा विधायक ने समर्थन वापस लेने की दी धमकी

त्रिपुरा की सियासत में हलचल मच गई है, क्योंकि सत्तारूढ़ गठबंधन की सहयोगी पार्टी TIPRA मोथा ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दी है.

auth-image
Edited By: Garima Singh
TIPRA Motha
Courtesy: X

TIPRA Motha: त्रिपुरा की सियासत में हलचल मच गई है, क्योंकि सत्तारूढ़ गठबंधन की सहयोगी पार्टी TIPRA मोथा ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दी है. पार्टी के एक प्रमुख विधायक ने सरकार पर अवैध इमिग्रेशन को नियंत्रित करने और पिछले साल हुए त्रिपक्षीय टिपरासा समझौते को लागू करने में विफलता का आरोप लगाया है. आईपीआरए मोथा के विधायक और पूर्व विद्रोही नेता रंजीत देबबर्मा ने सरकार के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने कहा, “सरकार का हिस्सा बने रहने से भी क्या फायदा है?

हमने ग्रेटर टिपरालैंड की अपनी मूल मांग को कभी नहीं छोड़ा. इस बीच, 125वां संशोधन विधेयक, एडीसी परिषद में रिक्त सीटों के लिए उपचुनाव, और एडीसी ग्राम परिषद चुनाव अभी तक नहीं हुए हैं. हमने टिपरासा समझौते में प्रगति की उम्मीद में 1.5 साल इंतजार किया, लेकिन कोई प्रगति नहीं हुई. हम समर्थन वापस लेने और सरकार छोड़ने के लिए तैयार हैं. हम इस महीने आखिरी बार केंद्र सरकार से चर्चा करेंगे.”रंजीत देबबर्मा, जो कभी खूंखार संगठन ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (एटीटीएफ) के प्रमुख थे, ने दावा किया कि पार्टी के 13 विधायक, मंत्री, और यहाँ तक कि भाजपा सांसद कृति देवी देबबर्मा, जो टीआईपीआरए मोथा सुप्रीमो प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा की बहन हैं, अपने पदों से इस्तीफा देने को तैयार हैं.

प्रद्योत किशोर का संयमित रुख

हालांकि, टीआईपीआरए मोथा के संस्थापक प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा ने रंजीत के बयानों से अनभिज्ञता जताई. उन्होंने कहा, “मैंने मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा से बात की है और उन्हें तिप्रासा समझौते के पूरा न होने के कारण आदिवासियों में वास्तविक निराशा से अवगत कराया है. मैंने बांग्लादेश से त्रिपुरा में अवैध अप्रवासियों की बढ़ती संख्या पर भी चर्चा की. सीएम ने मुझे आश्वासन दिया है कि वे इस मुद्दे को उचित मंच पर उठाएंगे.” प्रद्योत ने यह भी कहा कि वह मुख्यमंत्री पर भरोसा जताना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें आश्वासन मिला है कि यह मुद्दा नई दिल्ली में व्यक्तिगत रूप से उठाया जाएगा.

विपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया

विपक्षी नेता और सीपीआई (एम) पोलित ब्यूरो सदस्य जितेंद्र चौधरी ने सत्तारूढ़ गठबंधन की आलोचना करते हुए कहा कि भाजपा और टीआईपीआरए मोथा ने कई मुद्दों पर असहमति के बावजूद गठबंधन किया, जिसके कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न होना स्वाभाविक था. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने कहा कि रंजीत देबबर्मा पार्टी की नीति घोषित करने के लिए अधिकृत नहीं हैं और प्रद्योत किशोर के बयान ही टीआईपीआरए मोथा की आधिकारिक नीति माने जाते हैं.

त्रिपुरा की सियासत पर असर

त्रिपुरा में 12 सदस्यीय मंत्रिमंडल में भाजपा के नौ, आईपीएफटी का एक, और टीआईपीआरए मोथा के एक कैबिनेट व एक राज्य मंत्री हैं. यदि टीआईपीआरए मोथा समर्थन वापस लेती है, तो यह सत्तारूढ़ गठबंधन के लिए बड़ा झटका हो सकता है.