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वन नेशन, वन इलेक्शन को तीन पूर्व चीफ जस्टिस का समर्थन, लेकिन बिल पर उठाई आपत्ति, पढ़ें डिटेल

पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने संसदीय समिति को दी अपनी राय में कहा कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के एक साथ चुनाव संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करते.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
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भारत के तीन पूर्व मुख्य न्यायाधीशों ने संसदीय समिति को ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक पर अपनी राय दी है. उन्होंने इस अवधारणा की संवैधानिकता का समर्थन किया है, लेकिन निर्वाचन आयोग को दी गई शक्तियों और अन्य पहलुओं पर चिंता जताई है.

संवैधानिकता पर सहमति

पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने संसदीय समिति को दी अपनी राय में कहा कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के एक साथ चुनाव संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करते. चंद्रचूड़ ने कहा, “विरोधी तर्क इस आधार पर हैं कि भारतीय मतदाता भोले हैं और आसानी से प्रभावित हो सकते हैं. यह तर्क कि अलग-अलग समय पर चुनाव संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा हैं, टिकता नहीं. चुनावों का अलग-अलग समय मूल संविधान का हिस्सा नहीं है.” 

निर्वाचन आयोग की शक्तियों पर सवाल

चंद्रचूड़ और पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने विधेयक में निर्वाचन आयोग को दी गई व्यापक शक्तियों पर सवाल उठाए. चंद्रचूड़ ने कहा कि ऐसी “असीमित शक्ति” आयोग को यह अधिकार दे सकती है कि वह लोकसभा के साथ एक साथ चुनाव संभव न होने का हवाला देकर किसी राज्य विधानसभा का कार्यकाल पांच साल से अधिक या कम कर दे. पूर्व सीजेआई ने आगे कहा, “संविधान को उन परिस्थितियों को परिभाषित करना चाहिए, जिनमें निर्वाचन आयोग इस शक्ति का उपयोग कर सकता है.” 

हाशिए पर जा सकते हैं क्षेत्रीय दल

चंद्रचूड़ ने चिंता जताई कि एक साथ चुनाव बड़े राष्ट्रीय दलों के पक्ष में हो सकते हैं, जिससे छोटे या क्षेत्रीय दल हाशिए पर चले जाएंगे.  उन्होंने कहा, “राजनीतिक दलों के बीच समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए, चुनाव प्रचार नियमों, खासकर अभियान वित्त से संबंधित नियमों को मजबूत करना होगा.” 

चरणबद्ध लागू करने का सुझाव

पूर्व मुख्य न्यायाधीश यू. यू. ललित ने सुझाव दिया कि एक साथ चुनाव को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाए. उन्होंने कहा कि विधानसभाओं के शेष कार्यकाल को कम करने से कानूनी चुनौतियां पैदा हो सकती हैं. 

संसदीय समिति की बैठक

चंद्रचूड़ और जे. एस. केहर 11 जुलाई को बीजेपी सांसद पी. पी. चौधरी की अध्यक्षता वाली समिति के समक्ष पेश होंगे. यह मुलाकात विधेयक के प्रावधानों पर चर्चा के लिए महत्वपूर्ण होगी.