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India Daily

Thackeray Brothers Reunion: "हम साथ आए हैं, साथ रहने के लिए" यह महज एक ट्रेलर है, उद्धव ठाकरे ने किया ऐलान

Thackeray Brothers Reunion: उद्धव और राज ठाकरे वर्षों के लंबे राजनीतिक मतभेदों को पीछे छोड़ते हुए एक मंच पर आए. मराठी भाषा को लेकर सरकार के निर्णय के समर्थन में आयोजित कार्यक्रम में उद्धव ने कहा, "हम साथ आए हैं और साथ रहने के लिए आए हैं." दोनों नेताओं ने मिलकर आगामी महानगरपालिका चुनावों में सत्ता हासिल करने का संकल्प जताया.

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Edited By: Km Jaya
Uddhav Thackeray Raj Thackeray unity
Courtesy: Social Media

Thackeray Brothers Reunion: महाराष्ट्र की राजनीति में ऐतिहासिक एकता देखने को मिली, जब शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे सालों बाद एक मंच पर साथ आए.  यह मौका केवल एक सांस्कृतिक या पारिवारिक घटना नहीं, बल्कि इसे महाराष्ट्र की बदलती राजनीतिक दिशा के तौर पर देखा जा रहा है. यह पुनर्मिलन महाराष्ट्र सरकार द्वारा तीसरी वैकल्पिक भाषा के रूप में हिंदी को हटाने के फैसले के बाद 'मराठी एकता' की जीत के जश्न के रूप में आयोजित किया गया.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 'आवाज मराठिचा' नामक इस कार्यक्रम में उद्धव ठाकरे ने कहा, “हम साथ आए हैं और साथ रहने के लिए आए हैं... यह मराठी भाषा की रक्षा और गौरव के लिए हमारी एकजुटता है. आज का यह एकत्रीकरण महज एक ट्रेलर है, अभी तो बहुत कुछ बाकी है.”

उद्धव ने दिया संकेत

उद्धव ने संकेत दिया कि यह मिलन केवल एक भावनात्मक पहल नहीं, बल्कि आगामी चुनावों की रणनीतिक तैयारी का हिस्सा भी है. उन्होंने कहा, "मुंबई सहित महाराष्ट्र की 29 महानगरपालिकाओं में आगामी चुनाव में हम मिलकर जीत दर्ज करेंगे और सत्ता पर काबिज होंगे."

राज ठाकरे का भावुक अंदाज 

इस अवसर पर राज ठाकरे ने भी बेहद भावुक अंदाज में कहा, “मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने वो कर दिखाया जो हमारे पूज्य बाला साहेब ठाकरे भी नहीं कर पाए, उन्होंने मुझे और उद्धव को एक मंच पर लाकर खड़ा कर दिया.” कार्यक्रम का आयोजन वर्ली स्थित एनएससीआई डोम में हुआ, जहां हजारों की संख्या में मराठी प्रेमी, साहित्यकार, कवि और दोनों दलों के समर्थक मौजूद थे. यह सभा मराठी अस्मिता और सांस्कृतिक पहचान को लेकर एकता के प्रतीक के रूप में देखी जा रही है.

राज्य की राजनीति में नई धुरी का निर्माण 

यह मराठी भाषियों की लंबे समय से मांग का परिणाम माना जा रहा है. इस मुद्दे पर शिवसेना और एमएनएस का एकजुट होकर प्रदर्शन करना राज्य की राजनीति में एक नई धुरी के निर्माण की ओर इशारा करता है. अब सबकी निगाहें इस गठबंधन के भविष्य पर टिकी हैं, जो कि मराठी अस्मिता के नाम पर बना है और आने वाले चुनावों में इसका असर निश्चित रूप से देखा जाएगा.