menu-icon
India Daily

क्या होगा दलाई लामा का अगला जन्म? 90 की उम्र में उठने लगे सवाल, जन्मदिन से पहले जानें उनसे जुड़ी अहम बातें

बौद्ध धर्म में मान्यता है कि दलाई लामा का पुनर्जन्म होता है और नया दलाई लामा पुराने लामा की आत्मा का अगला रूप होता है. यह खोज विशेष भिक्षु मंडल द्वारा की जाती है. बच्चे के हावभाव, सपनों, और दिव्य संकेतों के आधार पर उसकी पहचान की जाती है.

auth-image
Edited By: Reepu Kumari
 Dalai lama
Courtesy: Pinterest

तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु और शांति के प्रतीक माने जाने वाले दलाई लामा 6 जुलाई को 90 साल के हो जाएंगे. इस खास मौके पर दुनियाभर में उनके योगदान की चर्चा हो रही है, लेकिन साथ ही एक सवाल भी उठ रहा है-क्या दलाई लामा का पुनर्जन्म होगा? अगर हां, तो अगला दलाई लामा कौन होगा और उसे कैसे चुना जाएगा? यह जानना बेहद दिलचस्प है.

दलाई लामा बौद्ध परंपरा में पुनर्जन्म की प्रक्रिया से चुने जाते हैं. वर्तमान में तेनजिन ग्यात्सो 14वें दलाई लामा हैं और उन्होंने खुद कई बार यह बात दोहराई है कि अगला दलाई लामा होगा या नहीं, इसका फैसला वे खुद अपने जीवनकाल में करेंगे.

कौन हैं दलाई लामा?

‘दलाई लामा’ दो शब्दों से मिलकर बना है-‘दलाई’ का अर्थ है समुद्र और ‘लामा’ का मतलब होता है गुरु. यानी एक ऐसा गुरु जिसकी बुद्धि समुद्र जैसी गहराई वाली हो. तेनजिन ग्यात्सो का जन्म 6 जुलाई 1935 को तिब्बत के ताकस्तेर गांव में हुआ था. महज 4 साल की उम्र में उन्हें 14वां दलाई लामा घोषित कर दिया गया था.

क्या होता है पुनर्जन्म की प्रक्रिया?

बौद्ध धर्म में मान्यता है कि दलाई लामा का पुनर्जन्म होता है और नया दलाई लामा पुराने लामा की आत्मा का अगला रूप होता है. यह खोज विशेष भिक्षु मंडल द्वारा की जाती है. बच्चे के हावभाव, सपनों, और दिव्य संकेतों के आधार पर उसकी पहचान की जाती है. हालांकि चीन इस प्रक्रिया में राजनीतिक दखल भी देता रहा है, जिस पर तिब्बती समुदाय एतराज़ जताता है.

दलाई लामा की खास बातें

  • दलाई लामा को 1989 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला.
  • उन्होंने The Art of Happiness जैसी चर्चित किताबें लिखीं.
  • वह धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश में रहते हैं, जिसे अब ‘लिटिल तिब्बत’ कहा जाता है.
  • वह माइंडफुलनेस, ब्रेन रिसर्च और साइंस में गहरी रुचि रखते हैं.

क्या अगला दलाई लामा भारत से होगा?

दलाई लामा का यह भी कहना है कि यदि पुनर्जन्म हुआ तो वह भारत में भी हो सकता है, न कि चीन के कब्जे वाले तिब्बत में. इससे यह संकेत मिलता है कि अगला दलाई लामा पूरी दुनिया के लिए फिर एक बार उम्मीद और शांति का प्रतीक बनकर सामने आएगा