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Uttarkashi Cloudburst: बादल फटना कितना होता है खतरनाक, जानें कैसे कुछ मिनट में कैसे तबाह हो गया धराली

जब गरम और नम हवा तेजी से ऊपर की ओर जाती है और ऊंचाई पर जाकर ठंडी होकर संघनित होती है, तो बादल बनते हैं. कभी-कभी ये बादल एक ही स्थान पर अत्यधिक मात्रा में पानी जमा कर लेते हैं। जब यह जलवाष्प अचानक और एकसाथ बरस जाती है, तो उसे 'बादल फटना' कहा जाता है.

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Edited By: Reepu Kumari
Gangotri Disaster
Courtesy: X

उत्तराखंड के गंगोत्री घाटी के धराली क्षेत्र में बादल फटने की भयंकर घटना ने तबाही मचा दी है. खीरगाड़ नाले में आई तेज फ्लैश फ्लड के कारण धराली बाजार में इमारतें बह गईं और कई लोगों के लापता होने की खबर है. सेना, SDRF और पुलिस की टीमें राहत कार्य में जुटी हैं, लेकिन हालात बेहद गंभीर बने हुए हैं. ऐसे हादसों के बाद एक बड़ा सवाल उठता है आखिर बादल फटना होता क्या है?

क्यों अचानक आसमान से इतनी तेज बारिश गिरती है कि मिनटों में तबाही मच जाती है? जान लेते हैं Cloudburst क्या होता है, यह कैसे बनता है और इसका सबसे ज्यादा असर पहाड़ी इलाकों में ही क्यों देखने को मिलता है.

50 से ज्यादा लोग लापता

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली के ऊंचाई वाले गांवों में मंगलवार को बादल फटने से अचानक बाढ़ आ गई, जिससे कई घर क्षतिग्रस्त हो गए या पानी में बह गए. इलाके के लोगों के अनुसार, कम से कम चार लोगों की मौत हो गई है और 50 से ज्यादा लोग लापता हैं.

स्थानीय लोगों ने बताया कि खीर गंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में बादल फटने की घटना हुई, जिसके कारण विनाशकारी बाढ़ आई.

क्या होता है बादल फटना (Cloudburst)?

बादल फटना यानी बहुत कम समय में बेहद भारी बारिश होना. तकनीकी रूप से, अगर किसी क्षेत्र में एक घंटे में 100 मिलीमीटर या उससे ज्यादा बारिश हो जाए, तो उसे 'बादल फटना' कहा जाता है. यह घटना अक्सर पहाड़ी क्षेत्रों में होती है, जहां बादल एक जगह पर रुक जाते हैं और लगातार भारी वर्षा करते हैं.

कैसे होता है बादल फटना?

जब गरम और नम हवा तेजी से ऊपर की ओर जाती है और ऊंचाई पर जाकर ठंडी होकर संघनित होती है, तो बादल बनते हैं. कभी-कभी ये बादल एक ही स्थान पर अत्यधिक मात्रा में पानी जमा कर लेते हैं. जब यह जलवाष्प अचानक और एकसाथ बरस जाती है, तो उसे 'बादल फटना' कहा जाता है.

पहाड़ों पर सबसे ज्यादा खतरा क्यों?

पहाड़ी क्षेत्रों में बादल फटने की घटनाएं ज्यादा होती हैं क्योंकि यहां के ऊंचे-नीचे भूगोल और जलवायु परिवर्तन इसके लिए अनुकूल होते हैं. यहां तेज़ ढलान के कारण बारिश का पानी तेजी से नीचे बहता है, जिससे फ्लैश फ्लड यानी अचानक बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो जाती है.

नुकसान कितना हो सकता है?

बादल फटने से कुछ ही मिनटों में नदियां उफान पर आ जाती हैं, सड़कें बह जाती हैं, पुल टूट जाते हैं और घर-होटल जमींदोज हो जाते हैं. इसके साथ ही जान-माल का भारी नुकसान भी होता है. गंगोत्री की ताजा घटना इसका बड़ा उदाहरण है.

क्या है बचाव का तरीका?

सरकार और वैज्ञानिक संस्थाएं अब आधुनिक मौसम तकनीक से ऐसे हादसों की पहले से चेतावनी देने की कोशिश कर रही हैं. साथ ही पहाड़ी इलाकों में आपदा प्रबंधन प्रणाली को भी मजबूत किया जा रहा है. लेकिन लोगों को भी सतर्क रहना चाहिए और प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए.

20-25 होटल और होमस्टे बह गए

ताजा रिपोर्टों के अनुसार, उत्तरकाशी में बादल फटने के मलबे में लगभग 10-12 लोग दबे हो सकते हैं. बताया जा रहा है कि 20-25 होटल और होमस्टे बह गए होंगे.