भारतीय नौसेना की नवीनतम स्टेल्थ मिसाइल फ्रिगेट 'तमाल' जून 2025 के अंत तक रूस के कैलिनिनग्राद स्थित यंतार शिपयार्ड में कमीशन की जाएगी. एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि यह युद्धपोत सितंबर में भारत के पश्चिमी तट पर पहुंचेगा और मुंबई स्थित वेस्टर्न फ्लीट का हिस्सा बनेगा. बता दें कि, यह फ्रिगेट हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की समुद्री ताकत को और मजबूत करेगा.
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, आईएनएस तमाल को जून तक भारतीय नौसेना में शामिल किए जाने की उम्मीद है. दरअसल, 'तमाल' 2.5 बिलियन डॉलर के सौदे का हिस्सा है, जिसमें भारतीय नौसेना के लिए चार क्रिवाक/तलवार श्रेणी की स्टेल्थ फ्रिगेट्स शामिल हैं. इनमें से दो यंतार शिपयार्ड में बनाई जा रही हैं, जबकि शेष दो गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) में रूस से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के साथ निर्मित होंगी.
भारत-रूस के बीच हुआ रक्षा सौदा
इस सौदे के तहत पहला फ्रिगेट, INS तुषिल, पिछले दिसंबर में यंतार शिपयार्ड में कमीशन किया गया था और फरवरी में भारत पहुंचा. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे कमीशन करते हुए कहा, "यह युद्धपोत भारत की बढ़ती समुद्री शक्ति का गर्वपूर्ण प्रमाण और दोनों देशों की लंबी दोस्ती का महत्वपूर्ण पड़ाव है.
उन्नत तकनीक और स्वदेशी योगदान
'तुषिल' और 'तमाल' प्रोजेक्ट 1135.6 के उन्नत क्रिवाक III श्रेणी के फ्रिगेट्स हैं. इनमें लगभग 26% स्वदेशी सामग्री है, जो पिछली तेग-श्रेणी के फ्रिगेट्स से दोगुनी है. इसमें भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, ब्रह्मोस एयरोस्पेस (भारत-रूस संयुक्त उद्यम), और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड की सहायक कंपनी नोवा इंटीग्रेटेड सिस्टम्स सहित 33 कंपनियों का योगदान है.
शक्तिशाली हथियार प्रणाली
ये फ्रिगेट्स अत्याधुनिक हथियारों से लैस हैं, जिनमें ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें, बढ़ी हुई रेंज वाली श्टिल सतह-से-हवा मिसाइलें, उन्नत मध्यम-रेंज की हवाई और सतह बंदूकें, ऑप्टिकली नियंत्रित नजदीकी रेंज की रैपिड फायर गन सिस्टम, टॉरपीडो और रॉकेट शामिल हैं. ये सुविधाएं इन युद्धपोतों को भारतीय नौसेना की रक्षा क्षमता में महत्वपूर्ण बनाती हैं.
समुद्री शक्ति का नया आयाम
'तमाल' के शामिल होने से भारतीय नौसेना की सामरिक ताकत में इजाफा होगा, खासकर हिंद महासागर क्षेत्र में। पहले से ही छह ऐसे युद्धपोत सेवा में हैं—तीन तलवार श्रेणी के, जो सेंट पीटर्सबर्ग के बाल्टिक शिपयार्ड में बने, और तीन तेग श्रेणी के, जो यंतार शिपयार्ड में निर्मित हुए.