Rajiv Gandhi Birth Anniversary: भारत रत्न राजीव गांधी ने मात्र 40 वर्ष की उम्र में प्रधानमंत्री पद संभालकर भारतीय राजनीति को एक नई दिशा दी. 1984 से 1989 तक के अपने कार्यकाल में उन्होंने शिक्षा, तकनीक और संचार के क्षेत्र में ऐसे बदलाव किए जिन्होंने देश को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया. वे न सिर्फ भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री रहे, बल्कि एक दूरदर्शी नेता भी थे जिन्होंने आने वाले समय की चुनौतियों और अवसरों को पहले ही भांप लिया था.
राजीव गांधी का विजन केवल शासन तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने आधुनिक भारत की ठोस नींव रखी. सूचना प्रौद्योगिकी और डिजिटल क्रांति को प्रोत्साहन देकर उन्होंने देश को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया. उनकी नीतियों और निर्णयों ने भारत को आधुनिकता की राह पर अग्रसर किया, और इसी कारण आज भी उन्हें आधुनिक भारत का शिल्पकार कहा जाता है.
राजीव गांधी को 'भारत में सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार क्रांति का जनक' कहा जाता है. उन्हें डिजिटल इंडिया का निर्माता कहना बिल्कुल सही है.
उनके कार्यकाल में ही अगस्त 1984 में अत्याधुनिक दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकसित करने और भारतीय दूरसंचार नेटवर्क की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए टेलीमेटिक्स विकास केंद्र (सी-डॉट) की स्थापना की गई थी.
सी-डॉट ने भारत के कस्बों और यहां तक कि गांवों में भी संचार नेटवर्क में क्रांति ला दी. राजीव गांधी के प्रयासों से पीसीओ (पब्लिक कॉल ऑफिस) क्रांति आई. पीसीओ बूथ ने ग्रामीण इलाकों को भी बाहरी दुनिया से जोड़ दिया.
1986 में, एमटीएनएल (महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड) की स्थापना हुई जिसने टेलीफोन नेटवर्क के प्रसार में मदद की. तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सलाहकार के रूप में सैम पित्रोदा की देखरेख में, दूरसंचार, जल, साक्षरता, टीकाकरण, डेयरी और तिलहन से संबंधित छह प्रौद्योगिकी मिशन स्थापित किए गए.
राजीव गांधी ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा उससे जुड़े उद्योगों को बढ़ावा दिया. इनमें से एक तरीका ऐसे उद्योगों, खासकर कंप्यूटर, एयरलाइंस, रक्षा और दूरसंचार, पर आयात कोटा, कर और शुल्क कम करना था. कंप्यूटरीकृत रेलवे टिकटों की शुरुआत के बाद भारतीय रेलवे का आधुनिकीकरण हुआ.
चूंकि राजीव गांधी स्वयं युवा थे, इसलिए उन्होंने युवाओं को सशक्त बनाने का प्रयास किया. इसी उद्देश्य से, 1989 में संविधान का 61वाँ संशोधन पारित किया गया, जिसके तहत मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई. इस कदम से युवाओं को लोकसभा सांसदों और राज्यों में विधायकों के चुनाव में अपनी भूमिका निभाने का अधिकार मिला.
लोकतंत्र को जमीनी स्तर तक पहुंचाने के लिए पंचायती राज संस्थाओं की नींव रखने का श्रेय राजीव गांधी को जाता है. हालांकि पंचायती राज व्यवस्था का निर्माण राजीव गांधी की हत्या के एक साल बाद, 1992 में संविधान के 73वें और 74वें संशोधन द्वारा किया गया था, लेकिन इसकी पृष्ठभूमि उनके नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के दौरान ही तैयार हो गई थी.
प्रधानमंत्री के रूप में राजीव गांधी ने 1986 में देश भर में उच्च शिक्षा कार्यक्रमों के आधुनिकीकरण और विस्तार के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनपीई) की घोषणा की थी. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लागू होने के बाद, ग्रामीण प्रतिभाओं को सामने लाने के लिए केंद्र सरकार के अधीन जवाहर नवोदय विद्यालय नामक आवासीय विद्यालय स्थापित किए गए. ये विद्यालय ग्रामीण आबादी को कक्षा छह से बारह तक निःशुल्क आवासीय शिक्षा प्रदान करते हैं. तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में 21 मई, 1991 की रात एक आत्मघाती बम धमाके में राजीव गांधी की हत्या की गई थी.