प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को गुजरात के भावनगर में ‘समुद्र से समृद्धि’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शिपबिल्डिंग सेक्टर के लिए 70 हजार करोड़ रुपये की तीन बड़ी योजनाओं की घोषणा की. उन्होंने कहा कि इन योजनाओं से भारत की समुद्री शक्ति में वृद्धि होगी और करीब दो करोड़ प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे.
मोदी ने अपने भाषण में कहा कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए समुद्री क्षेत्र का विकास बेहद आवश्यक है. उन्होंने कहा, 'चिप हो या शिप, हमें भारत में ही बनाने होंगे.' इस दौरान उन्होंने 34,200 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी किया.
प्रधानमंत्री ने बताया कि वर्तमान में शिपबिल्डिंग और जहाज स्वामित्व में भारत 16वें स्थान पर है और देश के पास मौजूद जहाजों में केवल सात प्रतिशत ही भारत में निर्मित हैं. पिछले पचास वर्षों में यह क्षेत्र लगातार कमजोर हुआ है. उन्होंने कहा कि 50 साल पहले भारत का 40 प्रतिशत व्यापार घरेलू जहाजों से होता था, जो अब घटकर केवल पांच प्रतिशत रह गया है.
गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मैंने शिप-बिल्डिंग इकोसिस्टम को सपोर्ट दिया था। इस दिशा में अब हम देशभर में व्यापक कदम उठा रहे हैं, जिससे बड़े पैमाने पर रोजगार के नए अवसर भी बनेंगे। pic.twitter.com/GPuNI0skoj
— Narendra Modi (@narendramodi) September 20, 2025
घोषित योजनाओं के तहत 25 हजार करोड़ रुपये शिपबिल्डिंग फाइनेंशियल असिस्टेंस स्कीम में दिए जाएंगे. दूसरी योजना में 25 हजार करोड़ रुपये का मैरिटाइम डिवेलपमेंट फंड बनाया जाएगा, जिससे इस क्षेत्र के लोगों को लंबे समय तक सहारा मिलेगा. तीसरी योजना 20 हजार करोड़ रुपये की होगी जो ग्रीनफील्ड शिपबिल्डिंग मेगा क्लस्टर्स के विकास, लैंड कनेक्टिविटी और बंदरगाह विस्तार के लिए होगी.
मोदी ने कहा कि भारत हर साल विदेशी नौवहन कंपनियों को करीब 75 अरब डॉलर यानी लगभग छह लाख करोड़ रुपये माल ढुलाई के लिए देता है. यह धन विदेशों में नौकरियां पैदा करता है जबकि भारत इससे वंचित रह जाता है. उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली सरकारों ने यदि इस क्षेत्र में निवेश किया होता, तो आज भारत जहाज निर्माण और नौवहन सेवाओं में वैश्विक शक्ति बन चुका होता.
प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि अब देश के सभी प्रमुख बंदरगाहों को ‘एक राष्ट्र, एक दस्तावेज’ और ‘एक राष्ट्र, एक बंदरगाह’ की प्रक्रिया से जोड़ा जाएगा. इससे व्यापार और कारोबारी गतिविधियां सरल होंगी. उन्होंने बताया कि पांच समुद्री कानूनों को नया रूप दिया गया है, जिससे प्रशासन और नौवहन व्यवस्था में बड़े बदलाव आएंगे. मोदी ने कहा कि बड़े जहाजों को अब बुनियादी ढांचे का दर्जा दिया गया है. इससे जहाज निर्माण कंपनियों को बैंकों से ऋण लेना आसान होगा और उन्हें कम ब्याज दरों का लाभ मिलेगा.