गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि उन्हें अपने दिल से विश्वास है कि हिंदी केवल अन्य भारतीय भाषाओं की "मित्र" हो सकती है. पिछले कुछ दशकों में भाषा का उपयोग देश को बांटने के साधन के रूप में किया गया. वे भारत को तोड़ नहीं पाए, लेकिन कोशिशें जरूर की गईं. हम ये सुनिश्चित करेंगे कि हमारी भाषाएं भारत को एकजुट करने का एक सशक्त साधन बनें. इसके लिए राजभाषा विभाग 'महान भारत' के निर्माण के मार्ग पर कार्य करेगा. हम अपनी भारतीय भाषाओं को विकसित करेंगे, उन्हें समृद्ध बनाएंगे और उनकी उपयोगिता बढ़ाएंगे.
इसके साथ ही गृह मंत्री ने कहा कि लोगों को अपनी भाषा को गंभीरता से लेने की ज़रूरत है. जब तक कोई व्यक्ति अपनी भाषा पर गर्व नहीं करता, वह गुलामी की मानसिकता से आजाद नहीं हो सकता. साथ ही उन्होंने कहा, “किसी भी भाषा का विरोध नहीं है. किसी भी विदेशी भाषा का विरोध नहीं होना चाहिए, लेकिन ज़ोर अपनी भाषा को गौरव देने पर होना चाहिए, अपनी भाषा में बोलने पर होना चाहिए, और अपनी भाषा में सोचने पर होना चाहिए.
गौरतलब है कि इससे पहले अमित शाह ने एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि “वो समय दूर नहीं जब इस देश में अंग्रेज़ी बोलने वाले लोग खुद को शर्मिंदा महसूस करेंगे. इस बयान की कई लोगों ने आलोचना की थी. वहीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि- अंग्रेज़ी कोई बाधा नहीं है, बल्कि एक "पुल" है जो हर बच्चे को समान अवसर देता है, लेकिन बीजेपी-आरएसएस नहीं चाहते कि गरीब बच्चे इसे सीखें, क्योंकि यह उन्हें सशक्त बनाती है.
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारतीय भाषाओं का उपयोग सरकारी कार्यों में अधिक से अधिक किया जाना चाहिए, न केवल केंद्र सरकार में, बल्कि राज्य सरकारों में भी. उन्होंने कहा, “हम राज्यों से भी संपर्क करेंगे, उन्हें मनाने की कोशिश करेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि हिंदी और अन्य भारतीय भाषाएं मिलकर देश की संस्कृति के आत्म-सम्मान को उसकी अंतिम मंज़िल तक पहुंचा सकती हैं.
शाह ने बताया कि अब जेईई, नीट और सीयूईटी जैसी परीक्षाएं 13 भाषाओं में ली जा रही हैं. पहले अर्धसैनिक बलों में कांस्टेबल की भर्ती केवल अंग्रेज़ी और हिंदी में ही होती थी, लेकिन मोदी सरकार ने इस परीक्षा को 13 भाषाओं में कराने की अनुमति दी. उन्होंने बताया आज 95% उम्मीदवार अपनी मातृभाषा में परीक्षा दे रहे हैं, जो दर्शाता है कि आने वाले समय में भारतीय भाषाओं का भविष्य कितना उज्ज्वल है.