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सीरियल किलर बनी माधुरी दीक्षित, क्या वाकई देखने लायक है मिसेज देशपांडे, पढ़े रिव्यू

माधुरी दीक्षित की क्राइम थ्रिलर सीरीज मिसेज देशपांडे एक सीरियल किलर और कॉपीकैट मर्डर की रहस्यमयी कहानी पेश करती है. दमदार राइटिंग और शानदार परफॉर्मेंस के बावजूद इसकी लंबाई कुछ जगहों पर कमजोर पड़ती है.

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Edited By: Babli Rautela
Mrs Deshpande Review -India Daily
Courtesy: X

मुंबई: क्राइम थ्रिलर को दर्शक हमेशा पसंद करते रहे हैं. रहस्य सुलझाने की जिज्ञासा ही इस जॉनर की सबसे बड़ी ताकत होती है. माधुरी दीक्षित की मिसेज देशपांडे भी इसी श्रेणी की एक नई सीरीज है. यह फ्रेंच थ्रिलर ला मांटे पर आधारित है. इसका निर्देशन नागेश कुकुनूर ने किया है और प्रोडक्शन अप्लॉज़ एंटरटेनमेंट का है. शुरुआती तीन एपिसोड के आधार पर यह सीरीज एक गंभीर और डार्क माहौल बनाती है.

कहानी मुंबई से शुरू होती है जहां एक नए सीरियल किलर की एंट्री होती है. मशहूर एक्टर विराट मल्होत्रा की हत्या के बाद पुलिस जांच तेज होती है. जांच के दौरान पुलिस को तीन हत्याओं में एक जैसा पैटर्न मिलता है. यह पैटर्न 25 साल पहले पुणे में हुई उन हत्याओं से जुड़ता है जिनके लिए मिसेज देशपांडे जेल में बंद हैं. नई हत्याएं उसी तरीके से की जाती हैं जिससे एक कॉपीकैट किलर का शक गहराता है. इसके बाद पुलिस मिसेज देशपांडे को सेफहाउस में लाकर उनसे मदद लेती है.

मिसेज देशपांडे की खासियत

मिसेज देशपांडे की सबसे बड़ी ताकत इसकी राइटिंग है. कहानी साफ और फोकस्ड नजर आती है. रहस्य को धीरे धीरे खोला जाता है जिससे दर्शक जुड़े रहते हैं. निर्देशन भी मजबूत है. नागेश कुकुनूर ने तीन एपिसोड में कहानी और किरदारों के विकास के बीच अच्छा संतुलन बनाया है. सीरीज की गति तेज और आत्मविश्वास से भरी हुई है. सिनेमैटोग्राफी और लाइटिंग हर सीन के रहस्यमय असर को और गहरा बनाती है.

कहां कमजोर पड़ी माधुरी दीक्षित की सीरीज

सीरीज की सबसे बड़ी कमजोरी इसकी लंबाई है. कुछ एपिसोड और सीन जरूरत से ज्यादा खींचे हुए लगते हैं. कई बार वही बातें दोहराई जाती हैं जो पहले ही साफ हो चुकी होती हैं. इसका असर कहानी की रफ्तार पर पड़ता है. कुछ ऐसे पल जो ज्यादा प्रभावशाली हो सकते थे वे कमजोर लगने लगते हैं. बेहतर एडिटिंग से इस कमी को काफी हद तक दूर किया जा सकता था.

माधुरी दीक्षित और बाकी कलाकारों का काम

माधुरी दीक्षित ने मिसेज देशपांडे के किरदार में सधी हुई और असरदार परफॉर्मेंस दी है. वह ओवर एक्टिंग से बचते हुए अपनी आंखों और डायलॉग डिलीवरी से भावनाएं जाहिर करती हैं. कई सीन में वह पूरी तरह कहानी पर हावी रहती हैं. प्रियांशु चटर्जी ने एसीपी अरुण खत्री के रोल में ईमानदार अभिनय किया है. उनकी परफॉर्मेंस सीरीज को जमीन से जोड़े रखती है. सिद्धार्थ चांदेकर ने तेजस फडके के किरदार को आत्मविश्वास के साथ निभाया है. माधुरी के साथ उनके सीन कहानी में गहराई और तनाव जोड़ते हैं.

कुल मिलाकर मिसेज देशपांडे एक दिलचस्प और अच्छी तरह से बनाई गई क्राइम थ्रिलर है. मजबूत कहानी साफ निर्देशन और माधुरी दीक्षित की दमदार परफॉर्मेंस इसे देखने लायक बनाती है. हालांकि इसकी लंबाई और कुछ खिंचे हुए सीन इसका असर थोड़ा कम कर देते हैं. इसके बावजूद अगर आपको रहस्य और सीरियल किलर की कहानियां पसंद हैं तो यह सीरीज आपको बांधे रखने में कामयाब रहती है.