जहां एक ओर दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत के कई शहर जहरीली हवा से परेशान हैं, वहीं देश के कुछ हिस्सों से राहत भरी खबर सामने आ रही है. साफ हवा अब सिर्फ कल्पना नहीं रही. हाल के आंकड़े बताते हैं कि कुछ शहरों में सांस लेना आज भी सुकून देता है. ये तस्वीर देश में बढ़ते प्रदूषण के बीच उम्मीद की किरण बनकर उभरी है.
हालांकि साफ हवा वाले शहरों का यह आंकड़ा स्थायी नहीं है, फिर भी यह दिखाता है कि सही भौगोलिक और मौसमीय परिस्थितियों में प्रदूषण पर काबू संभव है. शिलॉन्ग और दमोह जैसे शहरों के आंकड़े आज के संदर्भ में इसलिए अहम हैं, क्योंकि दिल्ली जैसे महानगरों में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं.
पूर्वोत्तर की पहाड़ियों में बसे मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग ने दो दिन पहले सुबह 9 बजे AQI मात्र 10 दर्ज किया था. यह आंकड़ा देश के सबसे साफ हवा वाले स्तरों में गिना जाता है. हालांकि यह डेटा ताजा नहीं है, लेकिन आज के प्रदूषण भरे माहौल में यह बताता है कि प्राकृतिक परिस्थितियां हवा की गुणवत्ता को किस हद तक बेहतर बना सकती हैं.
सिर्फ शिलॉन्ग ही नहीं, पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में भी हवा अपेक्षाकृत साफ रही है. मिजोरम की राजधानी आइजोल में AQI 38 दर्ज किया गया, जबकि त्रिपुरा के अगरतला में यह 72 रहा. ये आंकड़े बताते हैं कि कम औद्योगिकीकरण और बेहतर हरित आवरण वाले क्षेत्रों में हवा की स्थिति अभी संभली हुई है.
हैरानी की बात यह है कि पहाड़ी इलाकों के अलावा मध्य प्रदेश के दमोह शहर ने भी साफ हवा के मामले में शानदार प्रदर्शन किया है. दो दिन पहले सुबह यहां AQI 35 दर्ज किया गया. यह आंकड़ा दमोह को देश के स्वच्छ हवा वाले शहरों की सूची में शामिल करता है और दिखाता है कि मैदानी क्षेत्रों में भी बेहतर हवा संभव है.
इसके उलट राजधानी दिल्ली में स्थिति बेहद चिंताजनक बनी हुई है. गुरुवार को दिल्ली का औसत AQI 373 दर्ज किया गया, जो गंभीर श्रेणी में आता है. आनंद विहार, बवाना और DTU जैसे इलाकों में AQI 400 के पार पहुंच गया. घना कोहरा और धीमी हवाएं प्रदूषण को और बढ़ा रही हैं.
बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने दिल्ली-एनसीआर के स्कूलों में आउटडोर गतिविधियों पर रोक लगा दी है. डॉक्टरों का कहना है कि इस स्तर का प्रदूषण अस्थमा और सांस की बीमारियों को बढ़ा सकता है. लोगों को अनावश्यक रूप से बाहर न निकलने और मास्क का उपयोग करने की सलाह दी गई है.