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परेश बरुआ की वापसी बनेगा पूर्वोत्तर भारत के लिए खतरा! जानें उसे चीन से निकाल ढाका में क्यों बसाना चाहता है पाकिस्तान

परेश बरुआ को चीन से ढाका में बसाने की कथित योजना ने पूर्वोत्तर भारत की सुरक्षा चिंताएं बढ़ा दी हैं. पाकिस्तान और बांग्लादेश के बदले राजनीतिक माहौल में पुराने उग्रवादी नेटवर्क के पुनर्जीवित होने का खतरा जताया जा रहा है.

Km Jaya
Edited By: Km Jaya
Paresh Barua India daily
Courtesy: @TridentxIN x account

नई दिल्ली: बांग्लादेश में हालिया राजनीतिक बदलाव के बाद पूर्वोत्तर भारत की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं सामने आ रही हैं. शेख हसीना सरकार के पतन के बाद बनी मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार पर आरोप हैं कि वह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ मिलकर पुराने उग्रवादी नेटवर्क को फिर से एक्टिव करने की कोशिश जारी है.

इसी कड़ी में उल्फा इंडिपेंडेंट के प्रमुख परेश बरुआ का नाम फिर चर्चा में है, जिसे कथित तौर पर चीन से निकालकर ढाका में बसाने की योजना बनाई जा रही है. परेश बरुआ भारत के सबसे वांटेड उग्रवादियों में शामिल है. वह यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम का कमांडर इन चीफ रहा है और बाद में उल्फा इंडिपेंडेंट का नेतृत्व करने लगा. 

संगठन का क्या है उद्देश्य?

संगठन का उद्देश्य असम को भारत से अलग करना रहा है. जहां उल्फा का एक का मुख्य धड़ा 2023-24 में भारत सरकार के साथ शांति समझौते में शामिल हुआ, वहीं परेश बरुआ ने समझौते को ठुकरा कर सशस्त्र संघर्ष जारी रखा. 1990 के दशक में उल्फा के हमलों, बम धमाकों और अपहरण की घटनाओं ने असम और आसपास के इलाकों में भारी अशांति फैलाई. बरुआ लंबे समय से फरार है और एनआईए की मोस्ट वांटेड सूची में शामिल है. 

परेश बरुआ का बांग्लादेश से क्या है संबंध?

सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार वह चीन म्यांमार सीमा के पास चीन के युन्नान प्रांत में छिपा रहा है. परेश बरुआ का बांग्लादेश से पुराना रिश्ता रहा है. 2001 से 2006 के बीच खालिदा जिया की बीएनपी जमात सरकार के दौरान उसे वहां संरक्षण मिला था. इसी समय 2004 का चर्चित चटगांव हथियार कांड सामने आया था, जिसमें भारी मात्रा में हथियार पकड़े गए थे. ये हथियार पूर्वोत्तर भारत के उग्रवादी संगठनों के लिए लाए जा रहे थे.

2024 में बांग्लादेश में छात्र आंदोलन के बाद हालात बदले. शेख हसीना के सत्ता छोड़ने और यूनुस सरकार के गठन के बाद भारत विरोधी तत्वों की सक्रियता बढ़ी है. दिसंबर 2024 में चटगांव हथियार कांड से जुड़े मामलों में सजा में नरमी को भी इसी संदर्भ में देखा जा रहा है.

अगर उसे सक्रिय किया गया तो क्या होगा?

सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान और चीन मिलकर पूर्वोत्तर भारत में अस्थिरता फैलाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. अगर परेश बरुआ को ढाका में सक्रिय किया गया, तो सीमा पार से भर्ती, हथियार सप्लाई और आतंकी गतिविधियां फिर तेज हो सकती हैं. बांग्लादेश से लगी लंबी सीमा के कारण असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के लिए यह स्थिति गंभीर खतरा मानी जा रही है.