4 जून को लोकसभा चुनाव के नतीजे आए थे. 9 जून को नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. उनके साथ 71 और नेताओं ने सांसद पद की शपथ ली. इस बार एक भी मंत्री मुस्लिम नहीं है. अल्पसंख्यक समुदाय में सबसे बड़ा हिस्सा रखने वाले इस समुदाय को केंद्रीय मंत्रिमंडल में अपना कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला है. इसके बावजूद, केंद्रीय मंत्रिमंडल में पांच मंत्री ऐसे हैं जो अल्पसंख्यक समुदायर से आते हैं. कुल 71 मंत्रियों में इन पांच को शामिल करके बीजेपी ने अपनी भविष्य की राजनीति की ओर भी इशारा कर दिया है. शपथ ग्रहण के बाद मोदी सरकार 3.0 ने अपना कामकाज शुरू कर दिया है और आज शाम को पहली कैबिनेट मीटिंग होने जा रही है.
इस नई गठबंधन सरकार में जिन पांच अल्पसंख्यकों को मंत्री बनाया गया है, उनमें दो पंजाब से आते हैं और वे पगड़ीधारी सिख हैं. एक मंत्री केरल से, एक अरुणाचल प्रदेश से और एक महाराष्ट्र से हैं. इस बार कुल 30 कैबिनेट मंत्री, 36 राज्यमंत्री और 5 राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाए गए हैं. अभी तक मंत्रियों के पोर्टफोलियों का बंटवारा नहीं किया गया है.
मोदी सरकार में मंत्री रहे हरदीप सिंह पुरी सिख समुदाय से आते हैं जिसे भारत में अल्पसंख्यक माना जाता है. राज्यसभा के सांसद हरदीप सिंह पुरी का कार्यकाल 2026 में समाप्त हो रहा है क्योंकि वह 2020 में ही सांसद बने थे.
इस लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस से बीजेपी में आए रवनीत सिंह बिट्टू को भी मंत्री बनाया गया है. सिख समुदाय से आने वाले रवनीत बिट्टू लोकसभा चुनाव हार गए हैं इसके बावजूद उन्हें शपथ दिलाई गई है.
अरुणाचल प्रदेश से आने वाले किरेन रिजीजू मोदी की पिछली सरकारों में भी मंत्री रहे हैं. रिजीजू बौद्धर धर्म से आते हैं और वह अरुणचाल प्रदेश की पश्चिमी लोकसभा सीट से जीतकर आए हैं.
रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के मुखिया रामदास आठवले को एक बार फिर मंत्री पद मिल गया है. वह भी बौद्धधर्म से आते हैं.
दक्षिण में खुद को मजबूत करने में जुटी बीजेपी काफी समय से ईसाई मतदाताओं को रिझाने में जुटी हुई है. इसी क्रम में उसने केरल से आने वाले जॉर्ज कुरियन को मंत्री बनाया है. हालांकि, वह न तो लोकसभा के और न ही राज्यसभा के सांसद हैं.