J-K Article 370: 5 अगस्त, 2019 को धारा 370 की समाप्ति के बाद जम्मू और कश्मीर में बड़े बदलाव देखने को मिले. यह कदम न केवल ऐतिहासिक था, बल्कि इसे राष्ट्रीय एकता की दिशा में एक बड़ा कदम भी माना गया. भाजपा ने लंबे समय से चुनावी घोषणापत्रों में इस वादे को रखा था और अब इसे पूरा किया.
धारा 370 हटने के बाद, जम्मू और कश्मीर में स्वतंत्र और निष्पक्ष लोकसभा और विधानसभा चुनावों का आयोजन हुआ, जिसमें मतदान प्रतिशत पहले की तुलना में काफी बढ़ा. 2024 में हुए लोकसभा चुनावों में 35 सालों में सबसे अधिक मतदान हुआ. यह एक नई लोकतांत्रिक दिशा का प्रतीक था और लोगों का लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास लौटाने वाला कदम साबित हुआ.
धारा 370 हटने के बाद जम्मू और कश्मीर के पर्यटन उद्योग में अप्रत्याशित वृद्धि देखी गई. 2023 में राज्य ने 21.1 मिलियन पर्यटकों का स्वागत किया, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा फायदेमंद कदम था. हालांकि, कुछ समय के लिए आतंकवादी हमलों के बाद पर्यटन में कमी आई, लेकिन अब स्थिति सामान्य हो चुकी है और पर्यटकों का आगमन फिर से बढ़ने लगा है.
पहले जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी एक आम घटना थी, लेकिन अब यह बिल्कुल खत्म हो चुकी है. गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2023 में एक भी पत्थरबाजी की घटना नहीं हुई. यह 2010 के 2,654 मामलों से एक बड़ा फर्क था और इसे राज्य में कानून-व्यवस्था के सुधार के रूप में देखा गया.
केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पूरा किया, जिनमें सबसे प्रमुख था 42,500 करोड़ रुपये की लागत से बना उधमपुर-स्रीनगर-बारामुल्ला रेल लिंक. इस प्रोजेक्ट के तहत, चेनाब नदी पर बने विश्व के सबसे ऊंचे रेल पुल ने जम्मू और कश्मीर के बीच यात्रा को और भी आसान बना दिया है. इसके अलावा, 76,000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाएं अभी पाइपलाइन में हैं. कुल मिलाकर, जम्मू और कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद कई सकारात्मक बदलाव हुए हैं, जो राज्य के विकास और शांति की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहे हैं.