ITBP and DBT Agreement: हिमालय की दुर्गम चोटियों पर तैनात भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवानों के स्वास्थ्य और जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए एक अभूतपूर्व कदम उठाया गया है. भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और आईटीबीपी ने एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं. यह पहल न केवल जवानों की सेहत को प्राथमिकता देती है, बल्कि उनके कठिन परिश्रम और समर्पण को भी सम्मान देती है.
नई दिल्ली में आयोजित एक विशेष समारोह में इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए. इस अवसर पर जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. राजेश एस. गोखले और आईटीबीपी के महानिदेशक श्री राहुल रसगोत्रा सहित दोनों संगठनों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे. यह सहयोग उच्च-ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात जवानों के सामने आने वाली स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक ठोस कदम है.
सहयोग के प्रमुख उद्देश्य
इस समझौते के तहत कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जो जवानों के जीवन को आसान और सुरक्षित बनाएंगे.
उच्च-ऊंचाई वाली बीमारियों का समाधान: हिमालय के कठिन इलाकों में ऑक्सीजन की कमी और ऊंचाई से संबंधित बीमारियों से निपटने के लिए उन्नत जैव-प्रौद्योगिकी समाधान विकसित किए जाएंगे.
टेलीमेडिसिन और मोबाइल डायग्नोस्टिक इकाइयां: दूरस्थ सीमा चौकियों पर तैनात जवानों को त्वरित चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने के लिए टेलीमेडिसिन और मोबाइल डायग्नोस्टिक इकाइयों की तैनाती की जाएगी.
पोषक तत्वों की खुराक और स्वास्थ्य उपकरण: ठंड के मौसम में जवानों की शारीरिक क्षमता को बनाए रखने के लिए विशेष पोषक तत्वों की खुराक और स्वास्थ्य उपकरणों का विकास किया जाएगा.
चिकित्सा कर्मियों का प्रशिक्षण: आईटीबीपी के चिकित्सा कर्मियों को नवीनतम जैव-प्रौद्योगिकी तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि वे आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों से लैस हो सकें.
जवानों के लिए एक नई आशा
यह पहल उन बहादुर जवानों के लिए एक वरदान साबित होगी, जो देश की सीमाओं की रक्षा के लिए सबसे कठिन परिस्थितियों में कार्य करते हैं. यह समझौता न केवल उनके स्वास्थ्य को प्राथमिकता देता है, बल्कि उनकी कार्यक्षमता और मनोबल को भी बढ़ावा देगा.