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India Daily

भारतीय सेना को मिलेंगे अपाचे AH-64E हेलीकॉप्टर, पश्चिमी सीमा पर युद्ध क्षमता में होगी बढ़ोत्तरी!

सेना का एविएशन कोर फ्रंटलाइन ऑपरेशंस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह टोही, घायल सैनिकों की निकासी, और अन्य मिशनों में सहायता प्रदान करता है. कोर के मौजूदा संसाधनों में स्वदेशी हेलीकॉप्टर (ALH) ध्रुव शामिल है, जिसे इस साल की शुरुआत में कोस्टगार्ड के एक ALH हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद अस्थायी रूप से उड़ान से रोक दिया गया था.

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Edited By: Mayank Tiwari
Apache helicopters
Courtesy: Social Media

लंबे समय से प्रतीक्षित अपाचे AH-64E हमलावर हेलीकॉप्टरों की पहली खेप आखिरकार भारतीय सेना को मिलने वाली है. यह कदम ऑपरेशन सिंदूर के तहत पश्चिमी सीमा पर सेना की युद्ध क्षमता को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है. 15 महीने से अधिक की देरी के बाद, ये अत्याधुनिक हेलीकॉप्टर भारतीय सेना के एविएशन कोर को और शक्तिशाली बनाएंगे.

सूत्रों के अनुसार, 22 जुलाई को भारतीय सेना के एविएशन कोर को तीन अपाचे AH-64E हेलीकॉप्टरों की पहली खेप सौंपी जाएगी. भारत ने 2020 में संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ छह अपाचे हेलीकॉप्टरों के लिए 600 मिलियन डॉलर का सौदा किया था. मूल योजना के अनुसार, इन हेलीकॉप्टरों की डिलीवरी मई-जून 2024 तक होनी थी, लेकिन आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और तकनीकी समस्याओं के कारण यह समय सीमा दिसंबर 2024 तक बढ़ गई. 

पहली खेप की डिलीवरी जल्द

मूल योजना के तहत, छह हेलीकॉप्टर दो खेपों में आने थे, प्रत्येक में तीन हेलीकॉप्टर. दूसरी खेप इस साल के अंत तक आने की उम्मीद है, लेकिन पहली खेप को भारत पहुंचने में एक साल से अधिक का समय लग गया. 

नागटलाव में अपाचे स्क्वाड्रन तैयार, लेकिन देरी ने बढ़ाई चुनौतियां

मार्च 2024 में, भारतीय सेना के एविएशन कोर ने जोधपुर के नागटलाव में अपनी पहली अपाचे स्क्वाड्रन स्थापित की थी. पायलटों और ग्राउंड स्टाफ को उड़ान संचालन के लिए प्रशिक्षित किया गया था, लेकिन हेलीकॉप्टरों की अनुपस्थिति के कारण स्क्वाड्रन निष्क्रिय रहा. इस लंबी प्रतीक्षा ने पश्चिमी मोर्चे पर बढ़ते खतरे के मद्देनजर सेना की परिचालन तत्परता में महत्वपूर्ण कमी छोड़ी है.

अपाचे हेलीकॉप्टर की विशेषताएं

अपाचे AH-64E हेलीकॉप्टर अपनी चपलता, शक्तिशाली हथियार प्रणाली और उन्नत लक्ष्यीकरण प्रणाली के लिए प्रसिद्ध हैं. ये हेलीकॉप्टर भारतीय सेना के शस्त्रागार में एक महत्वपूर्ण जोड़ हैं, जो जमीनी हमलों की क्षमता को और मजबूत करेंगे. भारतीय वायुसेना ने 2015 के एक अलग समझौते के तहत पहले ही 22 अपाचे हेलीकॉप्टर शामिल किए हैं, लेकिन सेना को अभी तक इन उन्नत हेलीकॉप्टरों का इंतजार है.

एविएशन कोर की भूमिका और अन्य संसाधन

भारतीय सेना का एविएशन कोर फ्रंटलाइन ऑपरेशंस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह टोही, घायल सैनिकों की निकासी, और अन्य विविध मिशनों में सहायता प्रदान करता है. कोर के मौजूदा संसाधनों में स्वदेशी उन्नत हल्का हेलीकॉप्टर (ALH) ध्रुव शामिल है, जिसे इस साल की शुरुआत में भारतीय तटरक्षक बल के एक ALH हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद अस्थायी रूप से उड़ान से रोक दिया गया था. हालांकि, पहलगाम हमले के बाद उभरती सुरक्षा स्थिति के कारण ध्रुव के संचालन के लिए सीमित मंजूरी दी गई थी.

कोर के अन्य हेलीकॉप्टरों में रुद्र (ALH ध्रुव का सशस्त्र संस्करण, जो निकटवर्ती हवाई सहायता और टैंक-रोधी भूमिकाओं के लिए उपयोग होता है), चीता और चेतक हेलीकॉप्टर (टोही, रसद, और निकासी के लिए), और लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (LCH, जो उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में आक्रामक मिशनों के लिए डिज़ाइन किया गया है) शामिल हैं. इसके अलावा, डोर्नियर 228 जैसे फिक्स्ड-विंग विमान टोही, रसद, और संचार के लिए उपयोग किए जाते हैं. कोर हेरॉन और सर्चर जैसे यूएवी का उपयोग निगरानी और टोही के लिए करता है, साथ ही मध्यम-भार परिवहन और निकासी मिशनों के लिए Mi-17 हेलीकॉप्टर भी संचालित करता है.

पश्चिमी सीमा पर बढ़ेगी ताकत

अपाचे हेलीकॉप्टरों का आगमन भारतीय सेना की आक्रामक और रक्षात्मक संचालन क्षमता को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगा. यह ऑपरेशन सिंदूर के तहत चल रही परिचालन प्राथमिकताओं के बीच समग्र तत्परता को और मजबूत करेगा. ये हेलीकॉप्टर पश्चिमी सीमा पर सेना की स्थिति को और सुदृढ़ करेंगे, जिससे भारत की रक्षा क्षमता में एक नया आयाम जुड़ेगा.