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Farmers protest: आखिर फिर क्यों दिल्ली आ रहे 'हलधर'; 5 प्वाइंट में जानें 2020 से कितना अलग है किसान आंदोलन 2.0

Farmers protest: देश के अन्नदाता एक बार फिर से आंदोलन के मूड में हैं. मोदी सरकार के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर दिल्ली की तरफ कूच कर रहे हैं.

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Farmers protest: किसान आंदोलन एक बार फिर से दिल्ली की सीमाओं तक आ गए हैं. अपनी मांगों को लेकर पंजाब और हरियाणा के किसान दिल्ली कूच कर रहे हैं. पुलिस प्रशासन सतर्क है और किसानों को रोकने के लिए कई तरह की इंतजाम किए हैं. दूसरी ओर किसान नेताओं और सरकार के बीच बातचीत चल रही है. केंद्र से किसानों की कुछ मांगों में किसानों के लिए पूर्ण ऋण माफी, बुजुर्ग किसानों और मजदूरों के लिए प्रति माह 10,000 रुपये प्रदान करने वाली पेंशन योजना, बीज की गुणवत्ता में सुधार, नकली उत्पाद बेचने वाली कंपनियों को सजा देना, सभी फसलों के लिए एमएसपी और मनरेगा के तहत प्रति वर्ष 200 दिन का रोजगार उपलब्ध कराना शामिल है.

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि किसानों द्वारा उठाए गए अधिकांश मुद्दों पर सहमति बन गई है और सरकार ने बाकी मुद्दों के समाधान के लिए एक समिति बनाने का प्रस्ताव रखा है. हालांकि किसान नेताओं ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की कोई स्पष्टता नहीं है.

किसान सुबह 10 बजे अपना दिल्ली चलो मार्च शुरू करेंगे, लेकिन हरियाणा सरकार ने उन्हें रोकने के लिए राज्य के चारों ओर एक बड़ी बाड़ लगा दी है, जिससे प्रदर्शनकारी पंजाब से हरियाणा में प्रवेश नहीं कर सकें. 

किसानों का विरोध 2.0; 2020 के विरोध से कैसे अलग 

किसान अब क्यों विरोध कर रहे हैं?

2020 में किसानों ने नए कृषि कानूनों का विराध किया था.उसके विराध  में कई किसान संगठनों ने दिल्ली की सीमाओं पर एक साल तक प्रदर्शन किया था. आखिरकर सरकार को झुकना पड़ा था. इस बार सभी फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी, स्वामीनाथन आयोग के रिपोर्ट को लागू करने, किसानों के लिए पूर्ण कर्ज माफी, किसानों और मजदूरों के लिए पेंशन, 2020-21 के विरोध के दौरान किसानों के खिलाफ मामलों को वापस लेने की मांग करते हुए दिल्ली चलो की घोषणा की गई है.

विरोध का नेतृत्व कौन कर रहा है?

किसान विरोध का नेतृत्व विभिन्न यूनियनों द्वारा किया जा रहा है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में किसान यूनियनों के नेतृत्व में बदलाव हुए हैं. संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा ने दिल्ली चलो आंदोलन का ऐलान किया है. भारतीय किसान यूनियन, संयुक्त किसान मोर्चा, जिसने किसानों के 2020 के विरोध का नेतृत्व किया अब इसमें कई गुटबाजी देखी गई.

राकेश टिकैत, गुरनाम सिंह चारुनी दिल्ली चलो 2.0 का हिस्सा नहीं

किसान आंदोलन 2020 के दो प्रमुख नेता राकेश टिकैत और गुरनाम सिंह चारुनी थे, लेकिन वे इसबार कहीं नज़र नहीं आ रहे हैं. चार साल बाद किसान सड़क पर उतर आए हैं. एसकेएम (गैर राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल और सरवन सिंह पंधेर के महासचिव सरवन सिंह पंधेर अब सबसे आगे हैं.

किसानों को रोकने के लिए भारी सुरक्षा

पिछले किसान आंदोलन के समय प्रशासन ने ज्यादा तैयारियां नहीं की थी. इस बार प्रशासन ने सख्त एहतियाती कदम उठाए हैं. कंटीले तार, सीमेंट बैरिकेड, सड़कों पर कीलें की दीवार बना दिया गया है. दिल्ली में धारा 144 लागू कर दी गई है. हरियाणा सरकार ने पंजाब से लगी अपनी सीमाएं सील कर दीं हैं.

सरकार का रूख

सरकार ने इस बार किसानों के दिल्ली चलो मार्च से पहले ही बातचीत की प्रक्रिया शुरू कर दी थी. किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बीच पहली बैठक 8 फरवरी को हुई. दूसरी बैठक 12 फरवरी को हुई. रिपोर्टों के अनुसार, सरकार ने अब निरस्त कृषि कानूनों के खिलाफ 2020-21 के आंदोलन के दौरान दर्ज किसानों के खिलाफ सभी मामलों को वापस लेने की मांग स्वीकार कर ली, लेकिन मामला एमएसपी की गारंटी पर अटका है.