कोपेनहेगन में भारतीय प्रवासियों को संबोधित करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर ने शुक्रवार (30 मई) को पाकिस्तान पर तीखा हमला बोला. बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद के नेतृत्व में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में बोलते हुए, अकबर ने इस्लामाबाद के साथ बातचीत की तर्कसंगति पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा, "अक्सर शुभचिंतक मित्र पूछते हैं कि भारत पाकिस्तान से बात क्यों नहीं करता?" इसके जवाब में उन्होंने पाकिस्तान को "दोमुंही राष्ट्र" करार दिया.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर ने आगे कहा, "हम किस चेहरे से बात करें? पाकिस्तान की सरकार दोहरी जीभ से बोलती है हम किसका जवाब दें?" उन्होंने पाकिस्तान की भारत में अशांति फैलाने की लंबे समय से चली आ रही भूमिका की आलोचना करते हुए कहा, "सांप कभी अपने ही जहर से नहीं मरता," जिससे उन्होंने आतंकी नेटवर्क के खतरों की ओर इशारा किया.
पाकिस्तान के साथ बातचीत: "सिर्फ एक धोखा"
अकबर ने इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान के साथ बातचीत "सिर्फ एक धोखा" है. उन्होंने कहा कि भारत ने पाकिस्तान के साथ कई बार बातचीत की कोशिश की, लेकिन ये वार्ताएं महज एक बहाना हैं. अकबर के अनुसार, "पाकिस्तान इन वार्ताओं के समय का उपयोग अगले आतंकी हमले की तैयारी के लिए करता है." उन्होंने साफ किया कि भारत अब ऐसी बातचीत में समय बर्बाद नहीं करेगा. उन्होंने कहा, "हम उन मुद्दों पर बात करेंगे जो मायने रखते हैं." इनमें आपराधिक जवाबदेही और "कब्जाए गए जम्मू-कश्मीर की वास्तविक स्थिति और इसे वापस लाने का मुद्दा" शामिल है.
नरेंद्र मोदी का नेतृत्व: पाकिस्तान का पर्दाफाश
एमजे अकबर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने पाकिस्तान के झूठ को बेनकाब किया है. उन्होंने भारतीय प्रवासियों से कहा, "यह एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक क्षण है, आपको इस नेता पर गर्व होना चाहिए." अकबर ने बताया कि मोदी ने पाकिस्तान को "होश में लाने" की कोशिश की है. पाकिस्तान को "जन्मजात बीमारी" वाला देश बताते हुए उन्होंने कहा कि हत्या और आतंकवाद इसके जीन में है.
विदेश नीति में नया आयाम
विदेश नीति पर बोलते हुए अकबर ने कहा कि पीएम मोदी ने इसे एक नया आयाम दिया है. परंपरागत रूप से यह कहा जाता है कि देश अपने पड़ोसियों को नहीं बदल सकते, लेकिन मोदी ने दुनिया को बताया कि "पड़ोसी दूरी से नहीं, बल्कि पहुंच से परिभाषित होते हैं." इस कथन के जरिए उन्होंने भारत की कूटनीतिक ताकत को रेखांकित किया. अकबर का यह संबोधन न केवल पाकिस्तान की नीतियों की कड़ी आलोचना करता है, बल्कि भारत की मजबूत विदेश नीति और नेतृत्व की दृढ़ता को भी दर्शाता है.