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Electoral Bonds: चुनावी बांड मामले में SBI, एनजीओ की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, 10 पॉइंट में समझे

सुप्रीम कोर्ट आज यानी सोमवार को भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की उस याचिका पर सुनवाई करेगा जिसमें उसने चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बांड (चुनावी बांड) की जानकारी देने के लिए समय सीमा को 30 जून तक बढ़ाने की मांग की है.

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Electoral Bonds: सुप्रीम कोर्ट आज यानी सोमवार को भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की उस याचिका पर सुनवाई करेगा जिसमें उसने चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बांड (चुनावी बांड) की जानकारी देने के लिए समय सीमा को 30 जून तक बढ़ाने की मांग की है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ आस सुबह करीब 10:30 बजे इस मामले की सुनवाई करेंगे.

बेंच एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की एक अलग याचिका पर सुनवाई करेगी जिसमें उसने कहा है कि कोर्ट की अवमानना के लिए बैंक पर कार्रवाई की जाए. ADR ने कहा कि एसबीआई चुनाव आयोग को चुनावी बांड की जानकारी देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना कर रहा है, इसलिए बैंक के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए.

अबतक क्या-क्या हुआ

1- एसबीआई ने 4 मार्च को कोर्ट से कहा था कि चुनावी बांड की जानकारी चुनाव आयोग को मुहैया कराने की समय सीमा को 30 जून तक बढ़ाया जाए क्योंकि 12 अप्रैल 2019 से 15 फरवरी 2024 तक की बांड की जानकारी दोबारा प्राप्त करने में समय लगेगा, क्योंकि ये बांड गुप्त रखे गए थे इसलिए जानकारी जुटाने की प्रक्रिया कठिन हो गई है.

2- बैंक ने बताया कि इस दौरान विभिन्न राजनीतिक दलों के लिए 22,217 इलेक्टोरल बांड जारी किए गए थे.

3- एडीआर ने आरोप लगाया है कि बैंक जानबूझकर बांड की जानकारी चुनाव आयोग को मुहैया कराने में देरी कर रहा है और यह कोर्ट के आदेश की अवमानना है.

4- 15 फरवरी को सुनाए अपने एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को दिए फंड के दौर पर दिए जाने वाले इलेक्टोरल बांड को असंवैधानिक करार दिया था. कोर्ट ने कहा था कि यह स्कीम संविधान में दिए गए स्वतंत्रता और आरटीआई के अधिकार का हनन करती है.

5- इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को 6 मार्च तक सभी चुनावी बांड की जानकारी चुनाव आयोग को मुहैया कराने को कहा था और चुनाव आयोग से इस जानकारी को सार्वजनिक करने का आदेश दिया था.

6 - सुप्रीम कोर्ट ने अधिकृत वित्तीय संस्थान एसबीआई को 12 अप्रैल 2019 से 6 मार्च तक खरीदे गए चुनावी बांड का विवरण जमा करने का निर्देश दिया।

7- दरअसल कई सामाजिक कार्यकर्ता, संगठन और विपक्षी दल एसबीआई की समय सीमा आगे बढ़ाने की मांग पर सवाल उठा रहे हैं. उनका कहना है कि इससे बीजेपी को बचाने की कोशिश हो रही है क्योंकि 30 जून तक तो देश में आम चुनाव खत्म हो जाएगा और अगर इलेक्ट्रोल बांड में कोई घोटाला हुआ है तो किसी भी पार्टी पर इसका प्रभाव नहीं पड़ेगा.

8- एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और कॉमन कॉज़ ने अदालत के निर्देशों की कथित अवज्ञा के लिए एसबीआई के खिलाफ अवमानना ​​​​याचिका दायर की.

9- इसमें 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले दानदाता की जानकारी को जानबूझकर छिपाने का प्रयास करने का दावा किया गया है.

10- भारतीय जनता पार्टी द्वारा चुनाव आयोग को सौंपी गई वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, 2022-23 में चुनावी बांड के माध्यम से पार्टी को लगभग 1,300 करोड़ रुपये प्राप्त हुए है.