निर्वाचन आयोग ने गुरुवार को घोषणा की कि उसने 345 गैर-मान्यता प्राप्त पंजीकृत राजनीतिक दलों (RUPP) को सूची से हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. ये दल 2019 के बाद से किसी भी चुनाव में हिस्सा नहीं ले पाए हैं, जो पंजीकरण की अनिवार्य शर्त है. आयोग ने बताया कि इन दलों के कार्यालयों का भी पता नहीं लगाया जा सका.
आयोग का बयान
निर्वाचन आयोग ने अपने बयान में कहा, “आयोग के संज्ञान में आया है कि वर्तमान में पंजीकृत 2,800 से अधिक आरयूपीपी में से कई दल पंजीकरण की अनिवार्य शर्तों को पूरा करने में विफल रहे हैं. इसके लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया गया, जिसमें अब तक 345 ऐसे दलों की पहचान की गई है.” इन दलों को संबंधित राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा, और उन्हें सुनवाई का अवसर मिलेगा. इसके बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा.
पंजीकरण और विशेषाधिकार
निर्वाचन आयोग जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के तहत दलों का पंजीकरण करता है, जिसके तहत दलों को कर छूट जैसे विशेषाधिकार मिलते हैं. आयोग ने कहा, “इस अभियान का उद्देश्य राजनीतिक व्यवस्था को स्वच्छ करना और उन दलों को हटाना है, जिन्होंने 2019 के बाद लोकसभा, राज्य/केंद्र शासित प्रदेश विधानसभा या उपचुनाव में हिस्सा नहीं लिया और जिनका भौतिक रूप से पता नहीं लगाया जा सका.”
पहले भी हुई कार्रवाई
वर्ष 2022 में, आयोग ने इसी तरह का अभियान चलाया था, जिसमें 537 आरयूपीपी को निष्क्रिय घोषित किया गया या सूची से हटाया गया था. वर्तमान में, छह मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय दल और 63 मान्यता प्राप्त राज्य दल हैं.