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India Daily

'पाकिस्तान कितने भी लेटर लिखे...', सिंधु जल संधि पर जल शक्ति मंत्री का बड़ा बयान

दो दिन पहले पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भट्टोने ने कहा था कि भारत को या तो पानी निष्पक्ष रूप से बांटना चाहिए, नहीं तो पाकिस्तान छह नदियों के जल को अपनी ओर मोड़ देगा.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Pakistans letters not going to change Indias stance on Indus Waters Treaty said Jal Shakti minister

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि सिंधु नदी प्रणाली का जल कहीं नहीं जाएगा और सरकार का हर निर्णय राष्ट्र के हित में होगा. उनका यह बयान अप्रैल 22 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा सिंधु जल संधि (IWT) को निलंबित करने के कुछ महीनों बाद आया है. 

जो भी फैसला होगा देशहित में होगा

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में संधि की स्थिति पर सवाल पूछे जाने पर पाटिल ने कहा, "यह निर्णय भारत सरकार और प्रधानमंत्री का है... संधि के निलंबन पर कोई अपडेट नहीं है. जो भी निर्णय लिया जाएगा, वह केवल राष्ट्र के लाभ के लिए होगा." पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भट्टो के हालिया बयानों का जिक्र करते हुए, पाटिल ने कहा कि भारत "झूठी धमकियों से नहीं डरता". उन्होंने दोहराया, "पानी कहीं नहीं जाएगा... वह जो कहते हैं, उनका अपना सवाल है... हम झूठी धमकियों से नहीं डरते." 

भट्टो का बयान और भारत का जवाब

दो दिन पहले, न्यूज एजेंसी ने बताया कि भट्टो ने कहा था कि भारत को या तो पानी निष्पक्ष रूप से बांटना चाहिए, नहीं तो पाकिस्तान छह नदियों के जल को अपनी ओर मोड़ देगा. 1960 में बनी सिंधु जल संधि, सिंधु नदी प्रणाली—सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज—के जल के बंटवारे को नियंत्रित करती है. पाकिस्तान अपनी 80 प्रतिशत कृषि आवश्यकताओं के लिए भारत से निकलने वाली तीन नदियों पर निर्भर है.

भारत का कड़ा रुख

पहलगाम आतंकी हमले, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, के बाद भारत ने कूटनीतिक प्रतिक्रिया के रूप में संधि को निलंबित किया था. पिछले हफ्ते, द टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक साक्षात्कार में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी कहा था कि भारत कभी भी सिंधु जल संधि को जीवित नहीं करेगा और पाकिस्तान की ओर बहने वाले नदी के जल को भारत के भीतर उपयोग के लिए मोड़ेगा.

भारत का यह दृढ़ रुख न केवल राष्ट्रीय हितों की रक्षा को दर्शाता है, बल्कि क्षेत्रीय जल प्रबंधन में अपनी संप्रभुता को भी मजबूत करता है. सरकार का यह कदम आतंकी गतिविधियों के खिलाफ सख्त जवाब और जल संसाधनों के बेहतर उपयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.