दिल्ली में नगर निगम के मेयर का चुनाव होना था. सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवारों ने मेयर और डिप्टी मेयर के पदों के लिए नामाकंन भी भर दिया था. अब चुनाव से ठीक पहले दिल्ली के उपराज्यपाल ने इसे टालने का ऐलान कर दिया है. इसके पीछे की एक वजह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का जेल में होना बताया जा रहा है. ऐसी स्थिति में मौजूदा मेयर शैली ओबेरॉय और डिप्टी मेयर आले मोहम्मद इकबाल अपने पद पर बने रहे हैं. इन हालात में दिल्लीवासियों के मन में एक सवाल उठ रहा है कि आखिर दिल्ली नगर निगम को अपना नया मेयर कब मिल पाएगा?
उपराज्यपाल वी के सक्सेना की ओर से कहा गया है कि 'अप्रत्याशित कारणों' की वजह से दिल्ली नगर निगम के मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव फिलहाल नहीं कराए जा सकते हैं. 26 अप्रैल यानी आज इसके लिए वोटिंग होनी थी. AAP ने महेंश खींची को मेयर पद का और रविंदर भारद्वाज को डिप्टी मेयर पद का उम्मीदवार बनाया है. वहीं, बीजेपी ने भी मेयर पद के लिए किशन लाल और डिप्टी मेयर पद के लिए नीता बिष्ट को चुनाव में उतारा है.
उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने चीफ सेक्रेटरी को लिखे एक पत्र में कहा है, 'ऐसी अप्रत्याशित परिस्थिति में जब मौजूदा मुख्यमंत्री न्यायिक हिरासत में हैं और वह भ्रष्टाचार के केस में अंडर ट्रायल कैदी हैं तो वह अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन नहीं कर सकते हैं. उनकी सलाह के बिना पीठासीन अधिकारी का फैसला नहीं किया जा सकता है.' आधिकारिक आदेश में कहा गया है कि म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ऐक्ट 1957 की धारा 36 (1) के तहत मेयर और डिप्टी मेयर तब तक अपने पद पर रहेंगे जब तक कि नए मेयर का चुनाव नहीं हो जाता है.
इसके बाद मेयर और डिप्टी मेयर के चुनावों को टालने का ऐलान कर दिया गया. चुनाव टलते ही आम आदमी पार्टी नेता आतिशी ने आरोप लगाए कि बीजेपी एक दलित उम्मीदवार को मेयर बनते नहीं देखना चाहती है. इससे पहले, मंत्री सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाए थे कि बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार साजिश रच रही है ताकि मेयर चुनाव को टाला जाए और AAP को एमसीडी की सत्ता से बाहर किया जा सके.
दरअसल, उपराज्यपाल कार्यालय का कहना है कि पीठासीन अधिकारी का चुनाव किए जाने जैसे फैसले मुख्यमंत्री की सलाह से किए जाते हैं. ऐसे में मेयर का चुनाव कराने के लिए जो पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया जाना है, उसका चयन बिना सीएम के नहीं किया जा सकता है. हालांकि, AAP का आरोप है कि दिल्ली के उपराज्यपाल कई मौकों पर बिना सीएम की मंजूरी या सलाह लिए काम करते रहे हैं.
आरोप-प्रत्यारोप के बीच सच्चाई यह है कि दिल्ली नगर निगम के मेयर पद का चुनाव टल गया है और जो वजह दी गई है वह इसे लंबा टाल सकती है. जेल में बंद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जेल से काम करने या मंत्रिमंडल की बैठकर करने की अनुमति फिलहाल नहीं मिली है. पुराने विवादों और तनाव भरे संबंधों को देखते हुए कहा जा सकता है निकट भविष्य में भी ऐसी संभावनाएं कम ही हैं. ऐसे में अगर अरविंद केजरीवाल को जमानत नहीं मिल पाती है तो मेयर का चुनाव लंबे समय तक अटक सकता है.