हिमालय की ऊंची चोटियों पर तैनात सैनिकों तक भोजन, ईंधन और गोला-बारूद पहुंचाना हमेशा से भारतीय सेना के लिए सबसे कठिन चुनौतियों में रहा है. खराब मौसम, बर्फीले तूफान और खतरनाक ढलानों के बीच परंपरागत सप्लाई साधन कई बार दिनों तक ठप पड़ जाते हैं.
लेकिन अब गजराज कोर ने इस चुनौती का अभिनव समाधान खोज लिया है. 16,000 फीट की ऊंचाई पर तैनात किया गया स्वदेशी हाई-एल्टिट्यूड मोनो रेल सिस्टम इन कठिन इलाकों में लॉजिस्टिक सपोर्ट को नया आयाम दे रहा है.
गजराज कोर द्वारा विकसित यह स्वदेशी मोनो रेल सिस्टम अब पूरी तरह ऑपरेशनल है और वास्तविक परिस्थितियों में अपनी क्षमता साबित कर चुका है. कठोर हिमालयी क्षेत्र, टूटते-बिखरते ढाल, पथरीले रास्ते और शून्य से नीचे तापमान में भी यह सिस्टम निर्बाध रूप से काम करता है. यह एक रन में 300 किलो से अधिक सामान ढो सकता है, जो पारंपरिक तरीकों की तुलना में कहीं अधिक तेज और भरोसेमंद है.
इस मोनो रेल की सबसे बड़ी विशेषता इसका मौसम-रोधी डिजाइन है. भारी बर्फबारी, बारिश, ओलावृष्टि या तेज हवाओं में भी यह बिना रुके अपना काम करता है. यह दिन और रात दोनों समय बिना किसी एस्कॉर्ट के संचालन योग्य बनाया गया है. इससे सेना को अपने दूरस्थ चौकियों में लगातार आवश्यक सामान भेजने की बड़ी सुविधा मिल गई है.
Swadeshi innovation at 16,000 ft🇮🇳
— Jyotiraditya M. Scindia (@JM_Scindia) November 15, 2025
In Arunachal’s Kameng sector, the Indian Army’s Gajraj/4 Corps has engineered an indigenous high-altitude monorail system that carries 300+ kg per trip, ensuring vital supplies and even casualty evacuation when helicopters can’t reach.
A… pic.twitter.com/EDxkflRthj
पहले जिन चौकियों तक सामान पहुंचाने में कई घंटे या कई दिन लग जाते थे, अब मोनो रेल की मदद से यह सप्लाई काफी तेजी से हो रही है. गोला-बारूद, राशन, ईंधन, इंजीनियरिंग उपकरण और अन्य भारी सामान अब बेहद कम समय में सुरक्षित पहुंचाया जा रहा है. इससे न केवल सैनिकों का मनोबल बढ़ा है बल्कि दूरस्थ पोस्टों की ऑपरेशनल क्षमता भी मजबूत हुई है.
कई बार खराब मौसम में हेलीकॉप्टर उड़ान नहीं भर पाते, ऐसे में घायल सैनिकों को निकालना बेहद कठिन हो जाता है. मोनो रेल सिस्टम इस समस्या का भी आंशिक समाधान पेश करता है. भविष्य में इसका उपयोग तेजी और सुरक्षित तरीके से घायल जवानों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने में किया जा सकेगा, जिससे जीवन बचाने की संभावनाएं बढ़ेंगी.
यह पूरा सिस्टम सेना के अंदर ही विकसित किया गया है, जो गजराज कोर की तकनीकी क्षमता और जमीनी जरूरतों को समझकर समाधान बनाने की क्षमता को दर्शाता है. इसने न केवल सप्लाई चेन को विश्वसनीय बनाया है, बल्कि यह भी साबित किया है कि कठिन से कठिन पर्यावरण में भी भारतीय सेना अपनी जरूरतों के अनुरूप तकनीक तैयार कर सकती है.