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Delhi News: YouTube से ट्रेनिंग, फिर पॉश कॉलोनी में लूट; दिव्यांग बनकर वारदात को अंजाम देने वाला गैंग अरेस्ट

Delhi Crime News: दिव्यांग बनकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के अलग-अलग पॉश कॉलोनी में लूट करने वाले गैंग को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. गैंग का सरगना अलग-अलग राज्यों के लड़कों को कुछ समय के लिए शामिल करता था. फिर उन्हें यूट्यूब के जरिए दिव्यांग के हावभाव सिखाता था.

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Delhi Crime News differently abled people gang arrest burgled homes

Delhi Crime News: सुबह जैसे घड़ी में 6 बजते थे, 20 साल की उम्र के 4 'दिव्यांग' गाजियाबाद में अपने कमरे में 'काम' के लिए तैयार हो जाते थे. वे अपनी सभी काला चश्मा, छड़ी, बैग लेकर सड़कों पर निकल जाते थे. इनके हाथों में कुछ पर्चे होते थे, जिसमें लिखा होता था कि ये सभी 'बहरे, गूंगे, अंधे' संगठन के लिए दान मांग रहे हैं. एक अंधा होने की एक्टिंग करते हुए एक-दूसरे के कंधों को पकड़कर लाइन में चलते थे.

ये बस से दिल्ली की पॉश कॉलोनियों में पहुंचते थे और 'अंधा' होने का नाटक कर घूमते थे. इस दौरान ये कोठियों में काम करने वाले घरेलू नौकरी और अन्य से जानकारी जुटाते थे. जब उन्हें पर्याप्त जानकारी मिल जाती थी, तब वे कोठियों में घुस जाते थे और कीमती सामानों की चोरी कर लेते थे. दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे गैंग का पर्दाफाश किया है, जो दिव्यांग बनकर दिल्ली की पॉश कॉलोनियों में लूट की वारदात को अंजाम देते थे. पुलिस ने गैंग के चार आरोपियों को दबोचा है. 

इस साल अब तक 30 चोरियों की वारदात को दिया अंजाम

दिल्ली पुलिस के सीनियर अफसर के मुताबिक, अंधा होने की एक्टिंग करने वाले गिरोह ने गाजियाबाद से दिल्ली आने के दौरान साउथ एक्सटेंशन, जंगपुरा, हौज खास, सफदरजंग एन्क्लेव और साकेत समेत पॉश इलाकों को निशाना बनाया. इन इलाकों में इन्होंने कम से कम 5-5 चोरी की वारदातों को अंजाम दिया. इस साल गिरोह ने अब तक कम से कम चोरी की 30 वारदातों को अंजाम दिया है. 

पुलिस के मुताबिक, हाल ही में लूट की एक घटना के कारण जांच पड़ताल में ये गिरोह सामने आया. दरअसल, दक्षिण दिल्ली और उसके आसपास छात्रों के पेइंग गेस्ट (पीजी) आवासों से इलेक्ट्रॉनिक गैजेट चोरी की घटनाएं सामने आईं थीं. 15 दिनों में यहां से 27 मोबाइल फोन और 11 लैपटॉप चोरी हो गए थे. जांच पड़ताल के दौरान पुलिस ने फरवरी में चार लोगों को गिरफ्तार किया, जिसमें 22 साल का पी सत्यवेलु, 22 साल का शिव, 24 साल का कुमार, और 24 साल का प्रभु शामिल है.

हर तीन महीने में गैंग में शामिल होते थे नए सदस्य

एक पुलिस अधिकारी के अनुसार, गैंग में अक्सर युवाओं को शामिल किया जाता था. खास बात ये कि इन युवाओं को तय समय के लिए ही रखा जाता था. फिर उन्हें YouTube वीडियो के जरिए से दिव्यांगों के हावभाव, चलने के तौर तरीके और बातचीत के तरीकों के बारे में बताया जाता था. 

गैंग में अधिकतर आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक के गांवों के लोगों को शामिल किया जाता था. ये खास प्लान के तहत फ्लैट या कमरा किराए पर लेते समय अपने मकान मालिकों के सामने खुद को दिव्यांग के रूप में पेश करते थे. जब ये अपना टार्गेट सेट करते थे, तब दो लोग फर्जी आई के साथ वहां पहुंचते थे और अंधा होने की एक्टिंग करते हुए पैसे मांगते थे. इनके पास एक पर्ची भी होती थी, जिस पर करीब 100 लोगों के जाली साइन होते थे. ये खुद को अंधे, बहरे, गूंगे लोगों के लिए काम करने वाले संगठन के कार्यकर्ता के रूप में बताते थे.

भरोसा बनाने के बाद लूट की वारदात को देते थे अंजाम 

पुलिस के मुताबिक, अगर पीड़ित को इनकी बातों पर भरोसा हो जाता था और वो घर के अंदर पैसे लाने के लिए जाता था, तब गैंग के सदस्य घर में घुस जाते थे और कीमती सामानों की चोरी कर लेते थे, जैसे- लैपटॉप, आईफ़ोन, टैबलेट और डीएसएलआर कैमरे और स्पीकर आदि.

पुलिस के मुताबिक, दक्षिण दिल्ली और उसके आसपास छात्रों के पेइंग गेस्ट (पीजी) में हुई चोरी की घटनाओं को लेकर पुलिस काफी परेशान थी. मामले को सुलझाने और आरोपियों का पता लगाने, उन्हें पकड़ने के लिए इंस्पेक्टर धीरज महलावत के नेतृत्व में स्पेशल स्टाफ की एक टीम का गठन किया गया. 21 फरवरी को टीम को सूचना मिली कि कुछ संदिग्ध मालवीय नगर बस स्टैंड के पास प्रेस एन्क्लेव रोड पर हैं. इसके बाद उन्हें पकड़ लिया गया. इस दौरान आरोपियों ने पुलिस से इशारों में ही बात की. 

डीसीपी साउथ अंकित चौहान ने बताया कि आरोपियों ने पुलिस को देखने के बाद भी अपना नाटक जारी रखा. पुलिस के सामने 100 लोगों की साइन वाला पत्र पेश किया. लेकिन जब उनकी तलाशी ली गई, तो उनके पास से मोबाइल फोन और लैपटॉप बरामद हुए. 

आरोपी ऐसे सेट करते थे अपना टार्गेट

डीसीपी ने कहा कि आरोपी दिन के शुरुआती घंटों में घरों को निशाना बनाते थे. खासकर शैक्षणिक संस्थानों से सटे इलाकों में जहां छात्र रहते थे क्योंकि उनके पास आमतौर पर महंगे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट होते थे. आरोपी जहां वारदात को अंजाम देते थे, वहां ये खुद को या तो छात्र बताते थे या फिर दिव्यांग के रूप में पेश करते थे. ये दिव्यांगों के लिए चलाए जा रहे स्कूलों के लिए चंदा मांगते थे और फर्जी प्रमाणपत्र दिखाते थे. 

16 जनवरी को जंगपुरा में एक ऐसा ही मामला सामने आया था. पेशे से वकील आकर्ष मिश्रा ने आरोप लगाया कि एक व्यक्ति खुद को दिव्यांग बताकर चैरिटी के लिए धन मांगने के बहाने उनके घर में घुसा और छह लैपटॉप, स्मार्टवॉच, फोन, एक स्पीकर लेकर भाग गया. एक हफ्ते बाद, पुलिस ने चोरी के सामान के साथ आंध्र प्रदेश से वेंकटेश नाम के व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया. 

पुलिस ने कहा कि अभी तक गैंग के मास्टरमाइंड के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है. गिरफ्तार किए गए आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि उन्होंने यूट्यूब वीडियो से ये सीखा कि दिव्यांग कैसे व्यवहार करते हैं. कोर्ट में पेशी के दौरान भी आरोपी पहले खुद को निर्दोष बता रहे थे. आखिर में पुलिस को आरोपियों के कबूलनामे का वीडियो दिखाना पड़ा, जिसके बाद इन्होंने अपना अपराध कबूला.