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India Daily

Shubhanshu Shukla: 'शुक्लाजी की जगह किसी दलित को...', कांग्रेस नेता उदित राज के बयान पर बवाल

जहां एक ओर देश कैप्टन शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम Axiom 4 मिशन को सफलता पूर्वक पूरा करने पर जश्न मना रहा है, वहीं कांग्रेस नेता उदित राज के बयान ने एक नई राजनीतिक बहस को जन्म दे दिया है.

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Edited By: Garima Singh
Shubhanshu Shukla
Courtesy: x

Udit Raj on shubhanshu shukla: ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम ने Axiom 4 मिशन को सफलता पूर्वक पूरा कर लिया. शुभांशु के इस मिशन के सकुशल लौटने के साथ ही पूरा भारत गर्व से झूम उठा. अंतरिक्ष से धरती पर वापसी के इस मिशन में शुभांशु शुक्ला के साथ तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री भी सकुशल लौटे. इस सफलता पर देशभर में हर्ष और गर्व का माहौल है. यह उपलब्धि भारत की वैश्विक अंतरिक्ष क्षमताओं की ओर एक और मजबूत कदम है.

जहां एक ओर देश इस सफलता पर जश्न मना रहा है, वहीं कांग्रेस नेता उदित राज के बयान ने एक नई राजनीतिक बहस को जन्म दे दिया है. उन्होंने कहा “जब पहले राकेश शर्मा को भेजा गया था, तब एससी, एसटी, ओबीसी लोग इतने पढ़े-लिखे नहीं थे. इस बार, इस बार मुझे लगता है कि दलित को भेजने की बारी थी... मैंने ऐसा िलिये कह रहा हूं क्योंकि ऐसा नहीं है कि नासा ने कोई परीक्षा ली और फिर चयन हो गया. शुक्ला जी की जगह किसी भी दलित या ओबीसी को भेजा जा सकता था.” उनके इस बयान ने सामाजिक प्रतिनिधित्व और अंतरिक्ष कार्यक्रमों में जातीय समावेश पर नई चर्चा छेड़ दी है.

पहले भी दे चुके हैं विवादित बयान

उदित राज पहले भी अपने तीखे और विवादित बयानों के चलते चर्चाओं में रहे हैं. ऑपरेशन सिंदूर के समय भी उन्होंने भारत सरकार की रणनीति पर सवाल उठाते हुए कहा था “भारत पाकिस्तान को सही से सबक नहीं सिखा पाया. दुनिया में कोई भी देश इस मुद्दे पर भारत के साथ नहीं खड़ा है.” ऐसे बयानों के कारण अक्सर उनकी राजनीतिक स्थिति को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं.

समाज में उठे सवाल

उदित राज के ताजा बयान से देश में यह बहस छिड़ गई है कि क्या अंतरिक्ष अभियानों में जातीय प्रतिनिधित्व को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, या वैज्ञानिक योग्यता और चयन प्रक्रिया को ही सर्वोपरि माना जाना चाहिए. हालांकि, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की इस ऐतिहासिक उपलब्धि को किसी भी राजनीतिक विवाद से कम नहीं आंका जा सकता.