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सीएम योगी ने हर अस्पताल में नोडल अधिकारी नियुक्त करने के दिए निर्देश, रोज शाम को अस्पतालों का होगा अवलोकन

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने सरकारी आवास पर उच्च अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक के दौरान उन्होंने प्रदेश भर में संक्रामक रोगों की स्थिति की जानकारी लेने के साथ ही इससे निपटने के लिए आवश्यक निर्देश दिए.

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Suraj Tiwari
सीएम योगी ने हर अस्पताल में नोडल अधिकारी नियुक्त करने के दिए निर्देश, रोज शाम को अस्पतालों का होगा अवलोकन

नई दिल्ली : सीएम योगी ने मौसम की वजह से तेजी से बढ़ रही संक्रामक रोगियों की संख्या को लेकर नए निर्दश जारी किए हैं. उन्होंने कहा है कि सभी सरकारी व निजी अस्पताल, मेडिकल कॉलेज में नए रोगियों की नियमित जांच की जाए साथ ही प्रदेश के सभी पीएचसी, सीएचसी, जिला अस्पताल मेडिकल कॉलेज आदि के लिए जिलाधिकारी द्वारा एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाए. यह अधिकारी प्रत्येक दिन शाम को अपने प्रभार के अस्पतालों की जांच कर यह सुनिश्चित करेंगे कि कहीं भी किसी प्रकार की लापरवाही तो नहीं बरती जा रही है और अगर कहीं लापरवाही बरती जा रही हो तो करें कड़ी कार्यवाही.

अक्टूबर से इन रोगों की हो सकती है शुरुआत

सीएम योगी ने बैठक में कहा कि हर वर्ष अप्रैल, जुलाई और  अक्टूबर में संक्रमक रोगों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए विभाग में विशेष अभियान संचालित होता है. आने वाले माह अक्टूबर में संचारी रोग के नए चरण के प्रारंभ होने की संभावना है. इससे बचने के लिए सरकारी सहयोग के साथ-साथ जनसहभागिता भी जरुरी है. आज हर जिले में डेंगू जांच की सुविधा है.15 नवम्बर तक का समय संचारी रोगों की दृष्टि से हमारे लिए संवेदनशील है.

इन जिलों में बनी हुई है चिकनगुनिया की संभावना

योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि हाल के दिनों में गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, कानपुर नगर, लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद आदि शहर डेंगू से प्रभावित रहें हैं. बुलंदशहर और संभल में भी इसका प्रभाव देखा गया है, वहीं बरेली, सीतापुर, शाहजहांपुर, हरदोई, बदायूं, पीलीभीत और संभल में मलेरिया का असर देखा गया है. प्रयागराज, कानपुर नगर, बाराबंकी, कुशीनगर, संतकबीर नगर, सहारनपुर, बस्ती में चिकनगुनिया की संभावना बनी हुई है. इन जिलों में संक्रमक रोगों को लेकर विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता है.

चार दशक की बिमारी पर पांच साल में पाया नियंत्रण

सीएम योगी ने यह भी कहा कि कुछ वर्ष पहले प्रदेश के पूर्वी जनपदों में दिमागी बुखार से हजारों बच्चों की मौत होती थी. इसको लेकर वर्ष 2017 से हमने अंतर्विभागीय समिति बनाई. इसको लेकर सभी विभागों ने मिलकर कार्य किया. अस्पताल बनवाए, चिकित्सक बढ़ाए गए, साफ पीने के पानी की व्यवस्था की  गई. जिसका नतीजा यह रहा कि इस वर्ष 01 जनवरी से 07 सितंबर तक जापानी दिमागी बुखार, चिकनगुनिया व मलेरिया से एक भी मृत्यु नहीं हुई है. चार दशक तक कहर बनी रही इस बीमारी पर हमने 5 वर्ष में ही नियंत्रण पा लिया है. नियंत्रण के बाद अब हमारा अगला लक्ष्य इसको समाप्त करना है.

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