menu-icon
India Daily

भारत के 28 राज्यों पर 10 साल में तीन गुना कर्ज बढ़कर हुआ 59.6 लाख करोड़, इस राज्य पर सबसे अधिक उधारी

CAG की रिपोर्ट में सामने आया कि भारत के राज्यों का कुल कर्ज दस साल में तीन गुना बढ़कर 59.6 लाख करोड़ रुपये हो गया. यह कर्ज अब राज्यों के जीएसडीपी का लगभग 23 प्रतिशत है. पंजाब, नागालैंड और पश्चिम बंगाल सबसे ज्यादा कर्जदार राज्य हैं, जबकि ओडिशा और महाराष्ट्र कम कर्ज वाले राज्यों में हैं.

auth-image
Edited By: Km Jaya
CAG flags
Courtesy: @Harikishan Sharma X account

CAG Report: भारत के राज्यों पर कर्ज का बोझ तेजी से बढ़ रहा है. नियंत्रक और महालेखा परीक्षक यानी CAG की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 2013-14 में राज्यों का कुल सार्वजनिक कर्ज 17.57 लाख करोड़ रुपये था, जो 2022-23 में बढ़कर 59.6 लाख करोड़ रुपये हो गया. यानी दस साल में कर्ज 3.3 गुना बढ़ा. यह राज्यों की अर्थव्यवस्था पर गंभीर दबाव का संकेत है.

CAG की रिपोर्ट बताती है कि सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) की तुलना में राज्यों का कर्ज 2013-14 में 16.66% था, जो 2022-23 में बढ़कर लगभग 23 प्रतिशत हो गया यानी राज्यों की आय के मुकाबले कर्ज का बोझ लगातार बढ़ा है. इस दौरान कर्ज और राजस्व प्राप्तियों का अनुपात औसतन 150 प्रतिशत तक बना रहा.

सबसे ज्यादा और सबसे कम कर्ज वाले राज्य

वित्त वर्ष 2022-23 के अंत में पंजाब का कर्ज-जीएसडीपी अनुपात सबसे ज्यादा 40.35 प्रतिशत दर्ज किया गया. इसके बाद नागालैंड (37.15 प्रतिशत) और पश्चिम बंगाल (33.70 प्रतिशत) का स्थान रहा. वहीं ओडिशा ने कर्ज अनुपात सिर्फ 8.45 प्रतिशत तक सीमित रखा. महाराष्ट्र (14.64 प्रतिशत) और गुजरात (16.37प्रतिशत) भी अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में रहे. कुल आठ राज्यों का कर्ज-जीएसडीपी अनुपात 30 प्रतिशत से ज्यादा रहा.

कोविड-19 का असर

रिपोर्ट के अनुसार, 2020-21 में कोविड-19 महामारी की वजह से कर्ज का स्तर अचानक बढ़ा. उस वर्ष यह जीएसडीपी के 25 प्रतिशत तक पहुंच गया, जबकि इससे पहले यह 21 प्रतिशत था. आर्थिक गतिविधियां रुकने और राजस्व घटने से राज्यों को ज्यादा कर्ज लेना पड़ा. इस दौरान केंद्र सरकार ने जीएसटी मुआवजा लोन और विशेष सहायता पैकेज के जरिए अतिरिक्त उधारी दी.

दिन-प्रतिदिन के खर्च के लिए कर्ज

CAG ने चिंता जताई कि 11 राज्यों ने 2022-23 में अपने कर्ज का बड़ा हिस्सा पूंजीगत खर्च पर लगाने की बजाय राजस्व घाटा पूरा करने में इस्तेमाल किया. इनमें आंध्र प्रदेश, पंजाब, पश्चिम बंगाल, केरल, बिहार और तमिलनाडु शामिल हैं. पंजाब में केवल 26 प्रतिशत और आंध्र प्रदेश में मात्र 17 प्रतिशत उधारी ही पूंजीगत परियोजनाओं पर खर्च हुई. हरियाणा और हिमाचल प्रदेश ने भी लगभग आधा ही हिस्सा विकास कार्यों में लगाया. यह उधारी नियमों के उल्लंघन के बराबर है, क्योंकि ‘गोल्डन रूल’ के अनुसार कर्ज केवल निवेश के लिए होना चाहिए.

कर्ज लेने के तरीके

राज्य सरकारें बॉन्ड, ट्रेजरी बिल, बैंकों से कर्ज, आरबीआई की Ways and Means Advances और संस्थानों जैसे LIC व NABARD से उधारी लेती हैं. इन्हीं से मिलकर कुल सार्वजनिक कर्ज बनता है, जिसका विश्लेषण CAG ने इस रिपोर्ट में किया है.