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Bharat Bandh 2025: ट्रेड यूनियनों की हड़ताल, लेबर कोड से निजीकरण तक क्या है बड़ी मांगें

Bharat Bandh 2025: यह पहली बार नहीं है जब यूनियनों ने देशव्यापी हड़ताल की हो. इससे पहले नवंबर 2020, मार्च 2022 और फरवरी 2023 में भी लाखों श्रमिक सड़कों पर उतरे थे. देशभर में 10 ट्रेड यूनियनों ने भारत बंद का ऐलान किया है. उनकी 17 सूत्रीय मांगों में लेबर कोड की वापसी, निजीकरण पर रोक, न्यूनतम वेतन ₹26,000 और पुरानी पेंशन योजना की बहाली शामिल है. हड़ताल में किसान और ग्रामीण मजदूर संगठनों का भी समर्थन है.

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Edited By: Km Jaya
Bharat Bandh
Courtesy: Social Media

Bharat Bandh 2025: देशभर में आज 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और उनके सहयोगी संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया है. यह हड़ताल केंद्र सरकार की कॉर्पोरेट समर्थक' नीतियों के खिलाफ और  'मजदूर विरोधी, किसान विरोधी और  की जा रही है. इस विरोध प्रदर्शन में बैंकिंग, परिवहन, डाक सेवाएं, कोयला खनन और बिजली जैसे अहम क्षेत्रों के प्रभावित होने की आशंका है. हड़ताल में किसानों और ग्रामीण मजदूर संगठनों की भी भागीदारी देखी जा रही है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ट्रेड यूनियनों का कहना है कि सरकार ने उनकी 17 सूत्रीय मांगों को लगातार नजरअंदाज किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले 10 वर्षों में एक भी बार राष्ट्रीय श्रमिक सम्मेलन नहीं बुलाया गया और सरकार ने संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर जन आंदोलनों को दबाने की कोशिश की है. महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में लागू किए गए सख्त कानूनों का हवाला देते हुए यूनियनों ने लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन का आरोप लगाया है.

क्या है हड़ताल का मुख्य मुद्दा?

हड़ताल का मुख्य मुद्दा चार नए लेबर कोड हैं, जिन्हें ट्रेड यूनियनों ने श्रमिकों के अधिकारों पर हमला बताया है. यूनियनों का कहना है कि ये कोड हड़ताल करने के अधिकार को कमजोर करते हैं, काम के घंटे बढ़ाते हैं और श्रमिकों को सुरक्षा की गारंटी नहीं देते. यूनियनों की मांग है कि इन चारों लेबर कोड को रद्द किया जाए. हड़ताल में भाग ले रहे प्रमुख संगठनों के साथ संयुक्त किसान मोर्चा और ग्रामीण मजदूर संगठन भी समर्थन कर रहे हैं.

कंपनियों के निजीकरण का विरोध 

यूनियनों ने सरकार पर बिजली कंपनियों के निजीकरण का भी विरोध किया है. उनका मानना है कि इससे कर्मचारियों की नौकरियों और उपभोक्ताओं की सेवाओं पर नकारात्मक असर पड़ेगा. प्रवासी मजदूरों के मताधिकार को सीमित करने का आरोप भी इस आंदोलन में उठाया गया है.

सार्वजनिक क्षेत्र में नई भर्तियां शुरू 

मजदूर संगठनों की प्रमुख मांगों में सार्वजनिक क्षेत्र में नई भर्तियां शुरू करना, निजीकरण पर रोक लगाना, मनरेगा में मजदूरी और कार्यदिवस बढ़ाना, शिक्षा-स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ाना और न्यूनतम वेतन ₹26,000 मासिक तय करना शामिल है. साथ ही पुरानी पेंशन योजना की बहाली और किसानों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी और कर्जमाफी भी इस चार्टर का हिस्सा हैं.