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Justice Yashwant Verma: कैश कांड में फंसे जस्टिस यशवंत वर्मा की छुट्टी तय? पद से हटाने के लिए संसद में प्रस्ताव की तैयारी

Justice Yashwant Verma: इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों ने न्यायिक और राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. केंद्र सरकार ने उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी शुरू कर दी है, जो संसद के आगामी मॉनसून सेशन (21 जुलाई से 21 अगस्त 2025) में पेश हो सकता है.

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Edited By: Babli Rautela
Justice Yashwant Verma
Courtesy: Social Media

Justice Yashwant Verma: इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों ने न्यायिक और राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. केंद्र सरकार ने उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी शुरू कर दी है, जो संसद के आगामी मॉनसून सेशन (21 जुलाई से 21 अगस्त 2025) में पेश हो सकता है. यह कदम दिल्ली में उनके सरकारी आवास पर मार्च 2025 में आग लगने की घटना के बाद बरामद जली हुई नोटों की बोरियों के बाद उठाया गया है.

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124(4) और 218 के तहत, सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के जज को केवल 'सिद्ध कदाचार' या 'अक्षमता' के आधार पर ही हटाया जा सकता है. इसके लिए संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित करना अनिवार्य है. लोकसभा में कम से कम 100 सांसदों और राज्यसभा में 50 सांसदों के हस्ताक्षर जरूरी हैं. केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, 'प्रक्रिया का पालन किया जाएगा, लेकिन पहले से की गई जांच को एकीकृत करने पर विचार होगा.'

जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ संसद में प्रस्ताव की तैयारी

सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच समिति, जिसमें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जी.एस. संधावालिया, और कर्नाटक हाईकोर्ट की जज अनु शिवरामन शामिल थे, ने 50 से अधिक गवाहों के बयान दर्ज किए. समिति ने जस्टिस वर्मा के आवास से अघोषित नकदी बरामद होने के पुख्ता सबूत पाए, जिसे उन्होंने साजिश बताकर खारिज किया. तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने इस रिपोर्ट को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजा, जिसमें जस्टिस वर्मा को हटाने की सिफारिश की गई.

महाभियोग की प्रक्रिया

1. प्रस्ताव पेश करना: सरकार लोकसभा या राज्यसभा में प्रस्ताव लाएगी, जिसके लिए क्रमशः 100 या 50 सांसदों के हस्ताक्षर चाहिए.
2. जांच समिति का गठन: जजेस इंक्वायरी एक्ट, 1968 के तहत, लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा सभापति एक तीन सदस्यीय समिति गठित करेंगे, जिसमें मुख्य न्यायाधीश, एक हाईकोर्ट चीफ जस्टिस, और एक प्रतिष्ठित न्यायविद शामिल होंगे.
3. रिपोर्ट और मतदान: समिति की रिपोर्ट के आधार पर दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित होगा.
4. राष्ट्रपति की मंजूरी: प्रस्ताव पारित होने पर राष्ट्रपति जज को हटाने का आदेश जारी करेंगे.

सूत्रों के अनुसार, सरकार ने सभी प्रमुख दलों से संपर्क साधा है, और विपक्षी दलों ने सैद्धांतिक समर्थन का संकेत दिया है. हालांकि, कपिल सिब्बल जैसे नेताओं ने सरकार के इरादों पर सवाल उठाए हैं, और इंडिया गठबंधन प्रस्ताव को रोकने की कोशिश कर सकता है.