Bank of India Scam: बैंक ऑफ इंडिया (BOI) के एक निलंबित अधिकारी द्वारा किया गया ₹16.10 करोड़ का घोटाला अब देशभर में सुर्खियां बटोर रहा है. 32 वर्षीय हितेश सिंगला ने न केवल अपने ग्राहकों के खातों से पैसे निकाले, बल्कि शेयर बाजार के वायदा और विकल्प, क्रिप्टोकरेंसी और ऑनलाइन जुए में लगभग सारा पैसा गँवा दिया. सिंगला को हाल ही में गुजरात में एक ट्रेन में छापेमारी के दौरान गिरफ्तार किया गया था और अब वह न्यायिक हिरासत में है.
जानिए कैसे हुआ घोटाला?
प्रवर्तन निदेशालय (ED) की रिपोर्ट के अनुसार, मई 2023 से जुलाई 2025 तक हितेश सिंगला ने बैंक की आंतरिक प्रणाली में हेरफेर कर ग्राहकों के फिक्स्ड डिपॉज़िट, पीपीएफ, वरिष्ठ नागरिक योजनाओं और यहां तक कि निष्क्रिय खातों को भी निशाना बनाया.
Hitesh Singla, the suspended BOI officer accused of siphoning off ₹16.10 crore from 127 customer accounts, ஒரு அரசு வங்கியில் 127 கஷ்டமர் கணக்கிலிருந்து 16 கோடி பணத்தை முறைகேடாக ஒருவர் எப்படி திருட முடியும்? மேலதிகாரிகள், RBI, நிதி அமைச்சகம் தொடர்பு இல்லாமல் இவர் செய்ய முடியுமா? pic.twitter.com/MEURF1hY2N
— Krishnan Santhanaraj (@Sa89297Krishnan) September 28, 2025Also Read
- Karur Rally Stampede: 'मृतकों के परिजन को 20 लाख और घायलों को 2 लाख...', विजय ने पोस्ट कर किया आर्थिक मदद का ऐलान
- LoC infiltration: जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा के केरन सेक्टर में घुसपैठ की कोशिश नाकाम, 2 आतंकवादी ढेर
- "ये पुलवामा में सिंदूर उजड़ चुकी वीरांगनाओं का अपमान है...", भारत-पाकिस्तान एशिया कप फाइनल को लेकर संजय राउत का विवादित बयान
उसने ऐसे ग्राहकों को चुना जो अक्सर बैलेंस चेक नहीं करते थे. जैसे वरिष्ठ नागरिक, नाबालिग या दिवंगत खाताधारक. खातों से निकाली गई राशि को छोटे-छोटे किस्तों में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में अपने निजी खातों में ट्रांसफर कर दिया जाता था. इस तकनीक से बैंक की नज़र में तुरंत शक पैदा नहीं हुआ और यह गड़बड़ी लंबे समय तक छिपी रही.
90% रकम शेयर बाज़ार में फ्यूचर्स
जांच में सामने आया है कि सिंगला ने लगभग 90% रकम शेयर बाज़ार में फ्यूचर्स और ऑप्शन्स ट्रेडिंग, क्रिप्टोकरेंसी और ऑनलाइन सट्टेबाज़ी साइट्स पर खर्च कर दी. शुरुआती मुनाफे ने उसे लालच में डाल दिया, लेकिन जब घाटा बढ़ने लगा तो उसने बड़े दांव लगाकर नुकसान की भरपाई की कोशिश की. नतीजतन, वह और गहराई तक कर्ज़ और बर्बादी में धसता चला गया. एक अधिकारी के मुताबिक, "यह नशे जैसी लत का मामला है. जीत की लालसा और हार की भरपाई की कोशिश ने उसे बर्बाद कर दिया."
अब क्या बचा?
जांच एजेंसियों का कहना है कि घोटाले से निकाली गई राशि का अधिकांश हिस्सा पूरी तरह गंवा दिया गया है. अकेले शेयर बाज़ार में ही उसने ₹11.5 करोड़ से अधिक गवाएं. बाकी पैसा क्रिप्टो और ऑनलाइन गेमिंग-बेटिंग साइट्स पर डूब गया. यहां तक कि ₹1.5 करोड़, जिसे उसने मुंबई में एक मित्र के पास अस्थायी रूप से रखा था, बाद में वापस लेकर भी जुए और ट्रेडिंग में गंवा दिया गया.
ED ने छापेमारी में पाया कि उसके पास कोई ठोस संपत्ति या निवेश नहीं है जिससे रकम की वसूली हो सके. वर्तमान में सीबीआई और ईडी समानांतर जांच कर रही हैं. लेकिन शुरुआती संकेत बताते हैं कि बैंक और खाताधारकों को भारी नुकसान की भरपाई मुश्किल है.